DELHI CET 2020

DELHI CET 2020

edupedo.com संस्थान सन् 2012 से आपकी DELHI CET 2020 की सेवा में लगा है । इस संस्थान ने सैकड़ों बच्चों को दिल्ली पॉलिटेक्निक(DELHI POLYTECHNIC). के अलग अलग कॉलेज में DELHI CET ADMISSION और DELHI CET ENTRANCE EXAM. कराकर उनका भविष्य सुधारा है । यहाँ आपको DELHI के सभी कॉलेज के बारे में जानकारी प्राप्त हो जाएगी l.

आज प्रतियोगिता का दौर है. । प्रतियोगिता के इस दौर में यह   है कि छात्रों के पास आवश्यक कौशल(Skills) और सामर्थ्य हो. । अक्सर ये देखा जाता है कि अधिकतर छात्र दसवीं और बारहवीं करने के पश्चात या बी ए करने के पश्चात घर बैठ जाते हैं और रोज़गार की तलाश करते हैं. परन्तु उनके पास टेक्निकल स्किल्स न होने के कारण उन्हें जॉब नहीं मिलती है. । साइंस और   टेक्नोलॉजी के इस दौर में कोई न कोई टेक्निकल ज्ञान होना जॉब पाने के लिए आवश्यक है. । 

DLEHI CET 2020 के बारे में कुछ विशेष बाते

DELHI CET 2020
DELHI CET 2020

एक ऐसा संस्थान है जो कक्षा दसवीं और बारहवीं के बाद सभी छात्रों को टेक्निकल नॉलेज देकर निपुण बनाता है. ।इसके अन्तर्गत हम सभी छात्रों को दसवीं के पश्चात जूनियर इंजीनियर बनने की तैयारी करवाते हैं. । तैयारी के पश्चात छात्र प्रवेश परीक्षा उत्तीर्ण करके दिल्ली सरकार के पॉलीटेक्निक कालेजों और दिल्ली सरकार से मान्यता प्राप्त पॉलिटेक्निक कॉलेजों में एडमिशन लेकर 3 वर्ष का डिप्लोमा पूरा करते हैं. ।   डिप्लोमा करने के पश्चात छात्रों को कैंपस प्लेसमेंट के द्वारा कॉलेज से ही जॉब मिल जाती है. । कैंपस प्लेसमेंट के द्वारा नौकरी प्राप्त करने वाले छात्रों की सैलरी लगभग 25000 से 40000 तक होती है. और अनुभव बढ़ने के साथ साथ इस सैलरी में इजाफा भी होता है । अनुभव बढने के साथ साथ सैलरी और पोस्ट(पद) दोनों में बढ़ौतरी होती है.

3 वर्ष का डिप्लोमा पूरा करने के पश्चात आप देश के किसी भी टेक्नीकल सरकारी नौकरी जैसे रेलवे बैंकिंग स्कूल कालेज हॉस्पिटल आदि सभी जगहों पर आवेदन कर सकते हैं. ।  डिप्लोमा पूरा करने के पश्चात आप सरकार से आधिकारिक तौर पर अपना खुद का उद्यम (इण्डस्ट्री) लगाने के लिए अप्लाई कर सकते हैं. । इस प्रकार आप खुद का बिजनेस करके एक सफल बिजनेसमैन बन सकते हैं. । 

इस डिप्लोमा को करने के पश्चात आप चाहें तो लेटरल एंट्री के द्वारा 3 वर्ष में बीटेक की डिग्री भी पूरी कर सकते हैं. और आगे एम टेक कर सकते हैं । पिछले कुछ वर्षों के सफल छात्रों का विवरण अंतिम पेज पर दिया गया है.  ।  

संविधान का निर्माण

2 अंक

प्रश्न 1. भारतीय संविधान दुनिया का सबसे लम्बा संविधान बनने के कोई दो कारण लिखिए।

उत्तर- भारतीय संविधान दनिया का सबसे लम्बा संविधान बनने के कारण-

1. हमारे देश की विशालता और विविधता के कारण। कारनामा

2. संविधान निर्माण में विस्तृत, गहन विचार-विमर्श के कारण।

प्रश्न 2. नव राष्ट्र के सामने देशी रियासतों को लेकर क्या समस्या थी

उत्तर- देशी रियासतों को लेकर समस्या-स्नान

1. ब्रिटिश राज के दौरान उपमहाद्वीप का लगभग एक-तिहाई भू-भाग ऐसे नवाबों और।

मणमा रजवाड़ों के नियन्त्रण में था जो ब्रिटिश ताज की अधीनता स्वीकार कर चुके थे।

2. वे बहत सारे टुकड़ों में बंटे भारत में स्वतन्त्र सत्ता का सपना देख रहे थे।

प्रश्न 3. जवाहर लाल नेहरू ने संविधान सभा के सामने उददेश्य प्रस्ताव कब पेश किया ? इसकी क्या विशेषता थी?

उत्तर- 1. जवाहर लाल नेहरू ने 13 दिसम्बर, 1946 को संविधान सभा के सामने “उद्देश्य प्रस्ताव पेश किया।

2. यह एक ऐतिहासिक प्रस्ताव था जिसमें स्वतन्त्र भारत के संविधान के मूल आदर्शों की रूप रेखा प्रस्तुत की गई थी और वह फ्रेम वर्क सुझाया था जिसके तहत संविधान का कार्य आगे बढ़ना था।

प्रश्न 4. सरदार पटेल पृथक निर्वाचिका के विरुद्ध क्यों थे

उत्तर- सरदार पटेल के अनुसार पृथक निर्वाचिका एक ऐसा विष है जो हमारे देश की परी राजनीति में समा चुका है तथा उनकी राय में यह एक ऐसी मांग थी जिसने एक समदाय को दसरे समुदाय से भिड़ा दिया, राष्ट्र के टुकड़े कर दिए, रक्तपात को जन्म दिया और देश के विभाजन का कारण बनी। इसलिए वे पृथक निर्वाचिका के विरुद्ध थे।

प्रश्न 5. संविधान में दमित जातियों के लिए क्या सुझाव दिए

उत्तर- संविधान में दमित जातियों के लिए सुझाव-

1. अस्पृश्यता का उन्मूलन किया जाएगा।

 2. हिन्दू मन्दिरों को सभी जातियों के लिए खोल दिया जाए।

3. निचली जातियों को विधायिकाओं और सरकारी नौकरियों में आरक्षण दिया जाए।

5 अंकों वाले प्रश्नोत्तर

प्रश्न 6. संविधान सभा में की जाने वाली चर्चाओं को जनमत व विभिन्न संगठन किस प्रकार

प्रभावित करते थे उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- संविधान सभा में हुई चर्चाएँ जनमत से भी प्रभावित होती थीं।

– जब संविधान सभा में बहस होती थी तो विभिन्न पक्षों की दलीलें अखबारों में भी छपती थीं और तमाम प्रस्तावों पर सार्वजनिक रूप से बहस चलती थी।

– प्रेस में होने वाली इस आलोचना और जवाबी आलोचना से किसी मुद्दे पर बनने वाली सहमति या असहमति पर गहरा असर पड़ता था।।

– सामूहिक सहभागिता का भाव पैदा करने के लिए जनता के सुझाव भी आमन्त्रित किए जाते थे।

– इस प्रसंग में सभा को सैकड़ों सुझाव मिले जिनके कुछ नमूनों को देखने पर ही पता चल जाता है कि हमारे विधि निर्माताओं को कितने परस्पर विरोधी हितों पर विचार करना था।

– ऑल इण्डिया वर्णाश्रम स्वराज्य संघ (कलकत्ता) ने आग्रह किया कि हमारा संविधान प्राचीन हिन्दू कृतियों में उल्लिखित सिद्धान्तों पर ओधारित होना चाहिए। गौ हत्या पर पाबन्दी और बूचड़खानों को बन्द करने की विशेष रूप से मांग की गई थी।

– कथित निचली जातियों के समूहों ने मांग की कि “सवर्णों द्वारा दुर्व्यवहार पर रोक लगाई जाए और विधायिका, सरकारी महकमों और स्थानीय निकायों आदि में जनसंख्या के आधार पर सीटों के आरक्षण की व्यवस्था की जाए। ।

– भाषायी अल्पसंख्यक चाहते थे कि “मातृभाषा में अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता मिले तथा भाषीय आधार पर प्रान्तों का पुनर्गठन किया जाए।

– धार्मिक अल्पसंख्यकों ने विशेष सुरक्षाओं का आग्रह किया।

प्रश्न 7. संविधान सभा में कुल कितने सदस्य थे कांग्रेस नेतृत्व किनके द्वारा किया जा रहा था तथा इनकी क्या भूमिका थी

उत्तर- संविधान सभा में कुल तीन सौ सदस्य थे। इनमें से छह सदस्यों की भूमिका काफी महत्त्वपूर्ण थी।

– इन छह सदस्यों में से तीन-जवाहर लाल नेहरू, वल्लभ भाई पटेल और राजेन्द्र प्रसाद-

कांग्रेस के सदस्य थे।

– “ऐतिहासिक उद्देश्य प्रस्ताव नेहरू ने पेश किया था। यह प्रस्ताव भी उन्होंने ही पेश किया

था कि भारत का राष्ट्रीय ध्वज “केसरिया सफेद और गहरे हरे रंग की तीन बार चौड़ाई

वाली पट्टियों का “तिरंगा झण्डा होगा जिसके बीच में नीले रंग का चक्र होगा।

– पटेल मुख्य रूप से परदे के पीछे कई महत्त्वपूर्ण कार्य कर रहे थे। उन्होंने कई रिपोर्टों के प्रारूप

लिखे, कई परस्पर विरोधी विचारों के बीच सहमति पैदा करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा की ।

– राजेन्द्र प्रसाद संविधान सभा के अध्यक्ष थे। उन्होंने न केवल चर्चा को रचनात्मक दिशा

ले जाना था बल्कि इस बात का ख्याल भी रखना था कि सभी सदस्यों को अपनी बात

कहने का मौका मिले।

प्रश्न 8. “संविधान सभा अंग्रेजों की योजना को साकार करने का काम कर रही थी।

सोमनाथ लाहिड़ी के इस कथन की व्याख्या कीजिए।

उत्तर- सोमनाथ लाहिड़ी कम्युनिस्ट सदस्य थे। उनकी कथन निम्न बातों के आधार पर था-

– आन्तरिक सरकार लंदन में स्थिति ब्रिटिश सरकार के प्रभाव में काम कर रही थी।

1946-47 के जाड़ों में जब संविधान सभा में चर्चा चल रही थी तो अंग्रेज अभी भी भारत

में थे।

– संविधान सभा अंग्रेजों की बनाई हई है और वह अंग्रेजों की योजना को साकार करने का।

काम कर रही है।

– मामूली-से-मामूली मतभेद के लिए संघीय न्यायालय तक दौड़ना होगा या वहाँ इंग्लैंड में।

जाकर नाचना पड़ेगा।

– मूल रूप से सत्ता अभी भी अंग्रेजों के हाथ में है और सत्ता का प्रश्न बुनियादी तौर पर अभी

भी तय नहीं हुआ है जिसका अर्थ निकला है कि हमारा भविष्य अभी भी पूरी तरह हमारे।

हाथों में नहीं है।

प्रश्न 9. संविधान सभा में पृथक निर्वाचिका के पक्ष में दिए गए बयानों की व्याख्या कीजिए।

उत्तर- 27 अगस्त, 1947 में मद्रास के बी. पोकर बहादुर ने संविधान सभा में पृथक निर्वाचिका के

पक्ष में जोरदार भाषण दिया। उन्होंने कहा-

1. अल्पसंख्यक हर जगह होते हैं, उन्हें हम चाह कर भी नहीं हटा सकते।

2. एक ऐसे राजनीतिक ढाँचे की आवश्यकता है जिसके भीतर अल्पसंख्यक भी औरों के साथ

सद्भाव के साथ जी सकें और समुदायों के बीच मतभेद कम-से-कम हो।

3. राजनीतिक व्यवस्था में अल्पसंख्यकों का प्रतिनिधित्व हो, उनकी आवाज सनी जाए और

उनके विचारों पर ध्यान दिया जाए।

4. देश के शासन में मुसलमानों की एक सार्थक हिस्सेदारी सुनिश्चित करने के लिए पृथक

निर्वाचिका के अलावा और कोई रास्ता नहीं हो सकता।।

5. मुसलमानों की जरूरतों को गैर मुसलमान अच्छी तरह नहीं समझ सकते। न ही अन्य

समुदायों के लोग मुसलमानों का कोई सही प्रतिनिधि चुन सकते है।

प्रश्न 10. एन. जी. रंगा द्वारा अल्पसंख्यक शब्द की व्याख्या किस प्रकार की गई उन्होंने देश में।

व्याप्त किस विशाल खाई की ओर संकेत किया

उत्तर- एन. जी. रंगा किसान आन्दोलन के नेता और समाजवादी विचारों वाले व्यक्ति थे। उन्होंने ।

अल्पसंख्यक शब्द की व्याख्या आर्थिक स्तर पर की। उनकी नज़र में असली अल्पसंख्यक ।

गरीब और दबे-कुचले लोग थे।

– प्रत्येक व्यक्ति को कानूनी अधिकारों के साथ उन्होंने इसकी सीमाओं को भी चिन्हित किया।

– संविधान सम्मत आविष्कारों को लागू करने का प्रभावी इन्तजाम हो जिससे गरीबों के पास

जीन का, पूर्ण रोजगार का अधिकार, सभा तथा सम्मेलन करने का अधिकार तथा उनके

पास अन्य नागरिक स्वतन्त्रताएँ हो।

– ऐसी परिस्थितियाँ बनाई जाएँ जहाँ संविधान द्वारा दिए गए अधिकारों को जनता प्रभावी ।

ढंग से प्रयोग कर सके।

– अल्पसंख्यकों को सहारों की जरूरत है। उन्हें एक सीढी चाहिए।

– उन्होंने आम जनता और संविधान सभा में उनके प्रतिनधित्व का दावा करने वालों के बीच

विशाल खाई की ओर ध्यान आकर्षित करवाया। उनके अनुसार हमे अपने देश की आम

जनता का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं परन्तु इसके बावजूद ज्यादातर लोग उस जनता का

हिस्सा नहीं हैं हम उनके हैं, उनके लिए काम करना चाहते हैं लेकिन जनता खुद संविधान

सभा तक नहीं पहुँच पा रही हैं।

स्रोतो पर आधारित प्रश्न

(8 अंक)

हम सिर्फ नकल करने वाले नहीं है।

13 दिसंबर, 1946 को अपने प्रसिद्ध भाषण में जवाहरलाल नेहरू ने यह कहा था

मेरे जहन में बार-बार वे सारी संविधान सभाएँ आ रही हैं जो पहले यह काम कर चुकी हैं।

मुझे उस महान अमेरिकी राष्ट्र के निर्माण की प्रक्रिया का खयाल आ रहा है जहाँ राष्ट्र-निर्माताओं

ने एक ऐसा संविधान रच दिया जो इतने सारे सालों, डेढ़ सदी से भी ज़्यादा समय तक काल

की कसौटी पर खरा उतरा है। उन्होंने एक महान राष्ट्र गढ़ा जो उसी संविधान पर आधारित

है। इसके साथ ही मेरी नज़र उस महान क्रांति की ओर जाती है जो 150 साल पहले एक अन्य

स्थान पर हुई थी। मुझे उस संविधान सभा का विचार आता है जो स्वतंत्रता के लिए इतने सारे

संघर्ष लड़ने वाले पेरिस के भव्य एवं खूबसूरत शहर में जुटी थी। उस संविधान सभा ने कितनी

मुश्किलों का सामना किया था और किस तरह राजा व तमाम अन्य अधिकारी उसके रास्ते में

रोड़ा बन रहे थे। इतिहास के ये सारे अध्याय बरबस मुझे याद आ रहे हैं। सदन इस बात को

याद रखेगा कि जब इस तरह की मुश्किलें आईं और जब उन संविधान सभाओं के लिए एक

कमरा तक नहीं दिया जा रहा था तो उन्होंने टेनिस के खुले मैदान में सभा की थी और एक

शपथ ली थी जिसे टेनिस कोर्ट की शपथ के नाम से जाना जाता है। उन्होंने राजाओं व अन्य

ताकतों की रुकावटों के बावजूद अपनी बैठकें जारी रखीं और तब तक वहाँ से नहीं हिले जब

तक उन्होंने अपना काम पूरा नहीं कर लिया था। मुझे विश्वास है कि हम भी उसी शद्ध भावना

से यहाँ इकट्ठा हुए हैं और चाहे हमारी बैठक इस कक्ष में हो या कहीं और, चाहे खेतों में हो

या बाज़ार में, हमारी बैठकें तब तक जारी रहेंगी जब तक हम अपना काम परा नहीं कर लेंगे।

1. ये भाषण कब तथा किसके द्वारा दिया गया था

उत्तर- यह भाषाण 13 दिसंबर, 1946 को जवाहरलाल नेहरू द्वारा दिया गया था।

2. यहाँ प्रवक्ता ने किस राष्ट्र के निर्माण के बारे में वर्णन किया है

उत्तर- प्रवक्ता ने अमेरिका के राष्ट्र निर्माण के बारे में वर्णन किया है।

विभाजन को समझना

  1. 1947 में ब्रिटिश भारत किन दो सम्प्रभु राज्यों में बंट गया ?
  2. विभाजन के दौरान हुई हिंसा की कहानियाँ किस प्रकार विभिन्न समुदायों में अविश्वास पैदा करती है ?
  3. 1940 के प्रस्ताव में मुस्लिम लीग ने क्या मांग रखी ?
  4. विभाजन के विषय का शुरुआती नजरिया क्या था ?
  5. 1942 की किस घटना से अंग्रेजों को सत्ता हस्तांतरण की बातचीत के लिए तैयार होना पड़ा ?
  6. बंटवारे के दौरान हुई हिंसा से पीडि़त लोग तिनकों में अपनी ज़िंदगी दोबारा खड़ी करने के लिए मजबूर हो गए इस कथन के सन्दर्भ में 1947 की चैतरफा हिंसा का मार्मिक चित्रण प्रस्तुत कीजिये ?
  7. साम्प्रदायिक धार्मिक अस्मिता का विशेष प्रकार से राजनीतिकरण है इस कथन के सन्दर्भ में साम्प्रदायिकता के पाँच लक्षण लिखे ?
  8. बंटवारे के हिंसक काल में औरतो के अनुभव का वर्णन कीजिये ?
  9. तकसीम के दौरान आम लोगों की कठिनाइयों को समझने में कौन से 5 स्रोत मददगार है ?स्पष्ट कीजिये
  10. मौखिक इतिहास के बारे में इतिहासकारों की क्या आशंकाएं हैं सचित्र वर्णन कीजिये ?

किसान जमींदार और राज्य

  1. खेतिहर समाज की बुनियादी इकाइयां क्या थी ?
  2. अकबर के शासनकाल में जुती हुई ज़मीन और जोतने लायक जमीनों के आंकड़े किस प्रकार देखने को मिलते हैं ?
  3. अकबर के शासनकाल में राजस्व वसूली करने वालों को क्या कहते थे ?
  4. किसान साल भर क्या कार्य करते थे ?
  5. मुगलकाल में किसान के लिए किन शब्दों का प्रयोग होता था ?
  6. ?
  7. मुगलकाल में खेती किस सिद्धान्त पर आधारित थी ?
  8. मुगलकाल में सिंचाई के साधनों का उल्लेख कीजिये ?
  9. जींस- ए – कामिल का क्या अर्थ है इसका महत्व बताइए ?
  10. पंचायतों का मुख्य कार्य क्या था?
  11. कृषि इतिहास को समझने के लिए आइन जैसे स्रोत का प्रयोग करने में क्या कठिनाइयां थीं ? इतिहासकार इन समस्याओं का हल कैसे करते हैं ?
  12. मुगल काल में कृषि के लगातार विस्तार के कारकों की समीक्षा कीजिये ?
  13. ग्रामीण माहौल में जाति किस हद तक सामाजिक और आर्थिक संबंधों को प्रभावित करने का 1 कारक थी ?अपने उत्तर की पुष्टि कीजिये ?
  14. मुगलकालीन भू-राजस्व व्यवस्था की मुख्य विशेषताएं क्या थी?
  15. अकबर ने जमीनों का वर्गीकरण कैसे ? किया प्रत्येक का वर्णन कीजिये ।

ईंटें मनके और अस्थियाँ इतिहास कक्षा 12 टेस्ट पेपर 01

इतिहास टेस्ट पेपर 01 कक्षा 12



एक अंक वाले प्रश्न

  1. हड़प्पा सभ्यता की लिपि रहस्यमय क्यों है ?
  2. सांस्कृतिक शब्द का क्या अर्थ है? हड़प्पा सभ्यता की विशिष्ट वस्तुएं कौन सी हैं? ये वस्तुएं किन क्षेत्रों में पाई गई ?
  3. भारतीय पुरातत्त्व का जनक कौन कहलाता है उन्होंने हड़प्पा के विषय में क्या जानकारी दी ?
  4. मेसोपोटामियन विषयों में किन क्षेत्र के संपर्क के सन्दर्भ में बताया गया है तथा किन उत्पादित पदार्थो का जिक्र किया गया है ?
  5. हड़प्पा सभ्यता की जानकारी के मुख्य स्रोत कौन – कौन से हैं?
    दो अंक वाले प्रश्न
  6. हड़प्पा सभ्यता की जानकारी कब तथा किन विद्वानो द्वारा हुई?
  7. मनको के निर्माण में प्रयुक्त पदार्थों या सामग्रियों के नाम लिखिए ?
  8. मोहरों तथा मुद्रांको का उपयोग लंबी दूरी के संपर्कों के लिए किये जाते थे । मुद्रांक क्या दर्शाते थे?
  9. पुरातत्त्वविदों ने हड़प्पा समाज के अलग अलग राय दी है किन्हीं दो पर प्रकाश डालिए?
  10. पुरातत्वविद किसी संस्कृति विशेष में रहनेवाले लोगों के बीच सामाजिक और आर्थिक विभिन्नताएं जानने के लिए किन किन विधियों का उपयोग करते हैं?
    पाँच अंक वाले प्रश्न
  11. हड़प्पा सभ्यता में समाधान की क्या विधि थी?
  12. हड़प्पा सभ्यता के कोई 4 नगरों के नाम बताईये तथा उन स्थानों के नाम बताईये जहाँ सिंचाई के अंश पाए गए हैं?
  13. हड़प्पन जल निकासी प्रणाली की अनूठी विशेषताओं का संक्षेप में वर्णन कीजिये?
  14. हड़प्पाई समाज के प्रमुख उत्पादन केंद्र कौन कौन से थे हड़प्पाई शिल्पकार किस प्रकार के शिल्प उत्पादन में निपुण थे ?
  15. हड़प्पन सभ्यता में मनके बनाने हेतु पदार्थों की सूची बनाइए तथा किसी एक प्रकार के मनके बनाने की प्रौद्योगिकी का वर्णन कीजिए?
  16. हड़प्पावासी शिल्प उत्पादन हेतु माल प्राप्त करने के लिए क्या तरीके अपनाते थे अपने उत्तर की पुष्टि उचित उदाहरण देकर कीजिये?
  17. पुरातत्वविदों द्वारा की गई खोजों से कैसे पता चलता है कि हड़प्पा वासियों के सुदूर क्षेत्रों से संपर्क थे कई सम्पर्क सुदूर क्षेत्रों से आपसी व्यापारिक संबंधों को दर्शाते हैं?
  18. 1800 ईसा पूर्व तक आपकी राय में परिपक्व को हड़प्पा सभ्यता के अंत का क्या कारण है वर्णन कीजिये?
  19. मोहनजोदड़ो के दुर्ग पर की संरचना का साक्ष्य मिला है जिनका प्रयोग विशिष्ट सार्वजनिक प्रयोजनों के लिए किया जाता था इसके स्थापत्य कला का संक्षिप्त वर्णन दीजिये?
  20. निम्नलिखित को भारत के ऐतिहासिक मानचित्र में दर्शाए:
    a) मोहनजोदड़ो
    b) चन्हूदड़ो
    c) धौलावीरा
    d) लोथल
    e) बनावली
    f) रंगपुर

कक्षा 12 इतिहास सैम्पल पेपर Class 12 History Sample Paper

कक्षा 12 इतिहास सैम्पल पेपर Class 12 History Sample Paper with solution


सामान्य निर्देश

सभी प्रश्न अनिवार्य है प्रश्न संख्या 1 से 5 तक 2 अंकों के हैं ।

प्रश्न संख्या 6 से 16 तक 5 अंको के हैं ।

प्रश्न संख्या 17 से 18 तक 8 अंको के हैं ।

खंड घ के 3 स्रोतों पर आधारित है ।

प्रश्न 1 हड़प्पा की लिपि की कोई 2 विशेषताएं लिखिए
उत्तर :

मानचित्रों को उत्तर पुस्तिका के साथ संलग्न करें ।

हड़प्पा की लिपि की वर्णमाला ही नहीं थी इसमें चिन्हों की संख्या कहीं अधिक है लगभग 375 से 400 के बीच ।

यह लिपि दाईं से बाईं ओर लिखी जाती थी ।
प्रश्न 2 मुस्लिम संतों की दरगाहों में हजारों भक्त क्यों जाते हैं ?
उत्तर :

मुस्लिम संतों की मृत्यु के बाद उसकी दरगाह उसके मुरीदों के लिये भक्ति का स्थान बन जाती है हजारों भक्त दरगाह पर जियारत के लिए जाते हैं क्योंकि उनका मानना था कि मृत्यु के बाद पीर ईश्वर से एकीभूत हो जाते हैं और इस तरह पहले की बजाय उनके अधिक करीब हो जाते हैं ।

लोग आध्यात्मिक और एहीक कामनाओं की पूर्ति के लिए उनका आशीर्वाद लेने जाते हैं।
प्रश्न 3 : 1850 के बाद के भारत में औपनिवेशिक शहरों की 2 विशेषताएं लिखिए ।
उत्तर :

औपनिवेशिक शहर नए शासकों की वाणिज्य संस्कृति को प्रतिबिम्बित करने लगे

राजनीतिक सत्ता और संरक्षण भारतीय शासकों के स्थान पर ईस्ट इण्डिया कम्पनी के व्यापारियों के हाथ में जाने लगीं ।

निम्नलिखित में से किन्ही 5 प्रश्न के उत्तर दीजिये:
प्रश्न 4 बीसवीं शताब्दी में किये गये महाभारत के संकलन के विभिन्न सोपानों का वर्णन कीजिये

उत्तर : 1919 में प्रसिद्ध संस्कृत विद्वान वी एस सुकथांकर के नेतृत्व में 1 अत्यंत महत्वाकांक्षी परियोजना की शुरुआत हुई अनेक विद्वानों ने मिलकर महाभारत का समालोचनात्मक संस्करण तैयार करने का जिम्मा उठाया ।
संकलन के विभिन्न सोपान: –

देश के विभिन्न भागों में विभिन्न लिपियों में लिखी गई महाभारत की साँस संस्कृत पाण्डुलिपियों को एकीकृत किया गया

विद्वानों ने सभी पांडुलिपियों में पाए जाने वाले श्लोकों की तुलना करने का एक तरीका ढूंढ़ निकाला उन्होंने उन श्लोकों का चयन किया जो लगभग सभी पांडुलिपियों में पाए गए थे ।

इन श्लोको का प्रकाशन 13000 पृष्ठों में फैले अनेक ग्रन्थ खंडों में किया गया इस परियोजना को पूरा करने में 45 वर्ष लगे ।

इस पूरी प्रक्रिया में 2 बातें विशेष रूप से उभर कर आई पहली संस्कृत के कई पाठों के अनेक अंशों में समानता थी समूचे उपमहाद्वीप में उत्तर से कश्मीर और नेपाल से लेकर दक्षिण में केरल और तमिलनाडु तक सभी पांडुलिपियों में यह समानता देखी गई ।

दूसरा कुछ शताब्दियों के दौरान हुए महाभारत के प्रेषण में अनेक क्षेत्रीय प्रभेद भी उभर कर सामने आए इन प्रभेदों का संकट मुख्य पाठ की पाद टिप्पणियों और परिशिष्टों के रूप में किया गया 13000 पृष्ठों में से आधे से भी अधिक इन प्रभेदों का ब्योरा देते हैं ।
प्रश्न 5 प्राचीन काल में सम्पत्ति के अधिकार प्राप्त करने के कारण पुरुष और महिलाओं के मध्य सामाजिक भेदभाव को कैसे तीक्ष्णता प्राप्त हुई ?
उत्तर: प्राचीन काल में सम्पत्ति के अधिकार प्राप्त करने के कारण पुरुष और महिलाओं के मध्य सामाजिक भेदभाव-

मनुस्मृति के अनुसार पैत्रिक सम्पत्ति का माता पिता की मृत्यु के बाद सभी पुत्रों में समान रूप से बंटवारा किया जाना चाहिए

ज्येष्ठ पुत्र विशेष भाग का अधिकारी था स्त्रियां इस पैतृक संसाधन में हिस्सेदारी की मांग नहीं कर सकती थी विवाह के समय मिले उपहारों पर स्त्रियों का स्वामित्व माना जाता था और इसी स्त्री धन कि संज्ञा दी जाती थी ।

इस सम्पत्ति को उनकी संतान विरासत के रूप में प्राप्त कर सकती थी और इस पर उनके पति का कोई अधिकार नहीं होता था ।

मनुस्मृति में स्त्रियों को पति की आज्ञा के विरुद्ध पारिवारिक सम्पत्ति अथवा स्वयं अपने बहुमूल्य धन के गुप्त संचय के विरूद्ध भी चेतावनी देती है ।

कुछ धनाढ्य उच्च वर्ग का महिलाओं जैसे वाकाटक महिषी प्रभावती गुप्त का उदाहरण मिलता है जो संसाधनों पर पुरुषों का ही नियंत्रण था भूमि पशु और धन पर पुरुषों का ही नियंत्रण था इस प्रकार हम देखते हैं कि स्त्री और पुरुष के बीच सामाजिक हैसियत की विभिन्नता संसाधनों पर उनके नियंत्रण की विभिन्नता की वजह से अधिक प्रखर हुई ।
प्रश्न 6 : बीसवीं शताब्दी तक के खंडहरों के आधार पर हम्पी शहर और राज्य के इतिहास के पुनर्निर्माण में विद्वानों द्वारा किये गए विभिन्न प्रयासों का वर्णन कीजिये।
उत्तर : बीसवीं शताब्दी तक के खंडहरों के आधार पर हम्पी शहर और राज्य के इतिहास के पुनर्निर्माण में विद्वानों द्वारा किये गये विभिन्न प्रयास निम्नलिखित हैं :

हम्पी के भग्नावशेष 1800 ईसवीं में 1 अभियन्ता तथा पूरा विद कर्नल कॉलिन मैकेंज़ी द्वारा प्रकाश में लाये गये थे

मैकेंजी इस इण्डिया कम्पनी में कार्यरत थे और उन्होंने इस स्थान का पहला सर्वेक्षण

मानचित्र तैयार किया उनके द्वारा हासिल शुरुआती जानकारी विरूपाक्ष मन्दिर तथा पंपादेवी के पूजा स्थल के पुरोहितों की स्मृतियों पर आधारित थी ।

कालांतर में 1856 ईस्वी में छाया चित्रकारों ने यहां के भवनों के चित्र संकलित करने आरम्भ किये जिससे शोधकर्ता उनका अध्ययन कर पाए

1836 से ही अभिलेख कर्त्ताओं ने यहां और हम्पी के अन्य मन्दिर से कई दर्जन अभिलेखों को इकट्ठा करना आरम्भ कर दिया इस शहर तथा साम्राज्य के इतिहास के पुनर्निर्माण के प्रयास में इतिहासकारों ने इन स्रोतों का विदेशी यात्रियों के वृतांतो तथा तेलुगु कन्नड़ तमिल और संस्कृत में लिखे गये साहित्य से मिलान किया ।
प्रश्न 7 : स्पष्ट कीजिये के आइने अकबरी आज भी अपने समय का असाधारण ग्रन्थ क्यों है ? उत्तर:

आइन ए अकबरी आज भी अपने समय का असाधारण ग्रन्थ होने के निम्नलिखित कारण हैं:
मुगल साम्राज्य के गठन और उसकी संरचना की मंत्रमुग्ध करने वाली झलकियां दिखाकर और उसके बाशिंदों व उत्पादों के बारे में सांख्यिकी आंकड़े देकर अब्दुल फाजिल मध्यकालीन इतिहासकारों की अब तक प्रचलित परम्पराओं से कहीं आगे निकल गए और यह निश्चित तौर पर 1 बड़ी उपलब्धि थी जबकि मध्यकालीन भारत में अबुल फजल से पहले के इतिहासकार ज़्यादातर राजनीतिक वारदातों के बारे में ही लिखते थे जंग फतह सियासी साजिशें या वंशीय उथल पुथल देश उसके लोग या उत्पादों का जिक्र यदा कदा ही आता था भारत के लोगों और मुगल साम्राज्य के बारे में विस्तृत सूचनाएं दर्ज करके आई ने स्थापित परम्पराओं को पीछे छोड़ दिया ।
कृषि संबंधों के सवाल पर आइन के सांख्यिकीय सबूतों की अहमियत चुनौतियों से परे है लोगों उनके पेशों और व्यावसायिक साम्राज्य की व्यवस्था और उसके उच्चाधिकारियों के बारे में जो सूचनायें आइन देता है उनकी मदद से इतिहासकार समकालीन भारती के समाज ताने बाने का इतिहास पुनः रचते हैं ।


प्रश्न 8 ढक्कन राइट्स कमीशन की रिपोर्ट की आलोचनात्मक समीक्षा कीजिये
उत्तर : दक्कन दंगा आयोग बंबई की सरकार द्वारा दक्कन में दंगों की छानबीन करने के लिए बैठायी गई आयोग ने 1 रिपोर्ट दी जो 1878 में ब्रिटिश पार्लियामेंट में पेश की गई ।
आयोग ने दंगा पीड़ित जिलों में जांच पड़ताल कराई रेत वर्गों साहूकारों और चश्मदीद गवाहों के बयान लिए भिन्न भिन्न क्षेत्रों में राजस्व की दरों कीमतों और ब्याज के बारे में आंकड़े इकट्ठे किए और जिला कलेक्टरों द्वारा भेजी रिपोर्टों का संकलन किया ।
ये याद रखने योग्य बात है कि ये सरकारी स्रोत है और वे घटनाओं के बारे में सरकारी सरोकार और अर्थ प्रतिबिंबित करते हैं उदाहरणार्थ दक्कन दंगा आयोग से विशिष्ट रूप से यह जाँच करने के लिए कहा गया कि क्या सरकारी राजस्व की माँग का स्तर विद्रोह के कारण था और संपूर्ण साक्ष्य प्रस्तुत करने के बाद आयोग ने सूचित किया था कि सरकारी मांग किसानों के गुस्से की वजह से नहीं थी तथा इसमें सारा दोष ऋणदाताओं या साहूकारों का ही था अर्थात इससे यह स्पष्ट होता है कि औपनिवेशिक सरकार यह मानने को कदापि तैयार नहीं थी कि जनता में असंतोष या रूस कभी सरकारी कार्यवाही के कारण उत्पन्न हुआ था इस प्रकार दक्कन दंगा आयोग दक्कन दंगा के सन्दर्भ में 1 विश्वसनीय रिपोर्ट नहीं है ।


प्रश्न 9 अंग्रेजों ने उन लोगों को कैसे सम्मानित किया जिनके बारे में उन्हें विश्वास था कि उन्होंने 1857 के विद्रोह के दौर में विद्रोहियों को कुचला और अंग्रेजों की रक्षा की वर्णन कीजिये ?
अंग्रेजों द्वारा बनाई तस्वीरों को देखने पर तरह तरह की भावनाएं और प्रतिक्रियाएं पैदा होती हैं जिनमें से कुछ में अंग्रेज़ों को बचाने और विद्रोह कुचलने वाले अंग्रेज नायकों का गुणगान किया गया 1859 में टॉमस जेम्स वार्कर द्वारा बनाये गये चित्र रिलीफ ऑफ लखनऊ इसका 1 उदाहरण है जब विद्रोही टुकड़ियों ने लखनऊ पर घेरा डाला तो लखनऊ के कमिश्नर हेनरी लॉरेंस ने ईसाइयों को इकट्ठा किया और बेहद सुरक्षित रेजीडेंसी में पनाह ले ली ।बाद में लॉरेंस तुम्हारा गया किन्तु कर्नल इंग्लिश के नेतृत्व में रेज़ीडेंसी सुरक्षित रहा 25 सितम्बर को जेम्स आउट्रम और हेनरी हैवलॉक वहाँ पहुँचे उन्होंने विद्रोह को तितर बितर कर दिया और ब्रिटिश टुकडियो को नई मजबूती दी 20 दिन बाद भारत में ब्रिटिश टुकडियों का नया कमांडर कॉलिन कैम्पवेल भारी तादाद में सैनिक लेकर वहां पहुंचा और उसने ब्रिटिश रक्षक सेना को घेरे से छुड़ाया ।

मूल्य आधारित प्रश्न
10.1 भारत में ब्रिटिशों द्वारा प्रारम्भ में की गई जनगणना के महत्व का उल्लेख कीजिये ।

उत्तर :
i. जनगणना सम्बन्धी आँकड़ो से औपनिवेशिक भारत के विभिन्न शहरों में रहने वाली श्वेत और अश्वेत लोगों की कुल संख्या का सफलतापूर्वक पता लगाया जा सकता था ।
ii. जनसंख्या सम्बन्धी आँकड़ो से श्वेत एवं अश्वेत शहरों शहरों का निर्माण विस्तार उनमें रहने वाले लोगों के जीवन स्तर भयंकर बीमारियों के जनता पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव आदि के विषय में भी महत्वपूर्ण जानकारी उपलब्ध होती है ।
10.2 आज के भारत में जनगणना का महत्व बताइए ।
उत्तर:
1) जनगणना संबंधी आंकड़ों के आधार पर सरकार द्वारा नियोजन की रूपरेखा तैयार की जाती है ।
2) जनगणना सम्बन्धी आँकड़े देश के वर्तमान तथा भविष्य की तस्वीर तैयार करते हैं ।
निम्नलिखित में से किन्ही तीन प्रश्नों के उत्तर दीजिए :

महाजनपद से आप क्या समझते हों सबसे महत्त्वपूर्ण महाजनपदों के नाम बताइए और उनके विशिष्ट गुण बताइए ।
उत्तर:
आरंभिक भारतीय इतिहास में छठी शताब्दी ईसा पूर्व को एक महत्वपूर्ण परिवर्तनकारी काल माना जाता है इस काल को प्रायः आरंभिक राज्यों नगरों लोहे के बढ़ते प्रयोग और सिक्को के विकास के साथ जोड़ा जाता है इसी काल में बौद्ध तथा जैन सहित विभिन्न दार्शनिक विचारधाराओं का विकास हुआ ।बौद्ध और जैन धर्म के आरंभिक ग्रंथों में महाजनपद नाम से 16 राज्यों का उल्लेख मिलता है सबसे महत्त्वपूर्ण महाजनपद थे वज्जि, मगध, कोशल ,कुरु, पांचाल, गांधार और अवंति ।
विशिष्ट गुण
1) अधिकांश महाजनपदों पर राजा का शासन होता था लेकिन गण और संघ के नाम से प्रसिद्ध राज्यों में कई लोगों का समूह शासन करता था ।
2) इस समूह का प्रत्येक व्यक्ति राजा कहलाता था कुछ राज्यों से भूमि सहित अनेक आर्थिक स्रोतों पर राजा गण सामूहिक नियन्त्रण रखते थे ।
3) प्रत्येक महाजनपद की एक राजधानी होती थी जिसे प्रायः किले से घेरा जाता था ।
4) किलेबंद राजधानियों के रख रखाव और सेनाओं तथा नौकरशाही के लिए आर्थिक स्रोत की आवश्यकता थी ।
5) शासकों का काम किसानों व्यापारियों और शिल्पकारों से कर तथा भेंड वसूलना था ।
6) धीरे धीरे कुछ राज्यों ने अपनी स्थायी सेनाएँ और नौकरशाही तंत्र तैयार कर लिया ।

मुगलकालीन भारत में कृषि आधारित समाज में महिलाओं की भूमिका की व्याख्या कीजिये ।
उत्तर:
मुगलकालीन भारत में कृषि आधारित समाज में महिलाओं की भूमिका :
1) महिलाएं मर्दों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खेतों में काम करती थीं मर्द खेत जोते थे वह हल चलाते थे और महिलायें बुआई निराई और कटाई के साथ साथ पकी हुई फसल का दाना निकालने का काम करती थी ।
2) सूत कातने बर्तन बनाने के लिए मिट्टी को साफ करने और गूंथने और कपड़ों पर कढ़ाई जैसे दस्तकारी के काम उत्पादन के ऐसे पहलू थे जो महिलाओं के श्रम पर निर्भर थे ।
3) किसान और दस्तकार महिलाएं न केवल खेतों में काम करती थीं बल्कि नियोक्ताओं के घरों में भी जाती थीं और बाजार में भी ।
4) चूंकि समाज श्रम पर निर्भर था इसीलिए बच्चे पैदा करने की अपनी काबलियत की वजह से महिलाओं को महत्वपूर्ण संसाधन के रूप में देखा जाता था फिर भी शादीशुदा महिलाओं की कमी थी क्योंकि कुपोषण बार बार मां बनने और प्रसव के वक्त मौत की वजह से महिलाओं में मृत्यु दर बहुत ज्यादा थी ।
5) इसमें किसान और दस्तकार समाज में ऐसे सामाजिक रिवाज पैदा हुए जो संभ्रांत समूहों से बहुत अलग थे कई ग्रामीण संप्रदाय में शादी के लिए दुल्हन की कीमत अदा करने की ज़रुरत होती है । न कि दहेज की तलाकशुदा महिलाएं और विधवाएं दोनों ही कानूनन शादी कर सकती थी ।
6) स्थापित रिवाजों के मुताबिक घर का मुख्य मर्द होता था तथा महिला पर परिवार और समुदाय के मर्दों द्वारा पूरा काबू रखा जाता था बेवफाई के शक पर ही महिलाओं को भयानक दंड दिए जा सकते थे ।
7) भूमिहर भद्रजनों में महिलाओं को पुश्तैनी सम्पत्ति का हक मिला था पंजाब से ऐसे उदाहरण मिलते हैं जहां महिलाएं पुश्तैनी सम्पत्ति के विक्रेता के रूप में समय ग्रामीण जमीन के बाजार में सक्रिय हिस्सेदारी रखती थी ।
8) हिन्दू और मुसलमान महिलाओं को जमींदारी उत्तराधिकार में मिलती थी जिसे बेचने अथवा गिरवी रखने के लिए वे स्वतंत्र थे अठारहवीं शताब्दी की सबसे बड़ी और मशहूर ज़िम्मेदारियों में से एक थीं राजशाही की जिम्मेदारी जिसकी कर्ताधर्ता एक स्त्री थी ।

गोपुरम और मंडपों पर विशेष बल देते हुए विजयनगर के पवित्र केन्द्र के महत्व की व्याख्या कीजिये ।
उत्तर:
पवित्र केन्द्र में गोपुरम और मण्डपों का महत्त्व :
स्थापत्य के सन्दर्भ में विशाल स्तर पर बनाई गई संरचनाओं जो राजकीय सत्ता की गलियों तक भी शामिल थीं इनका सबसे अच्छा उदाहरण राय गोपुरम अथवा राजकीय प्रवेश द्वार थे जो अक्सर केन्द्रीय देवालयों की मीनारों को बौना प्रतीत कराते थे और जो लम्बी दूरी से ही मन्दिर होने का संकेत देते थे । यह शासकों की ताक़त की याद दिलाते थे जो इतनी ऊँची मीनारों के निर्माण के लिए आवश्यक साधन तकनीकी तथा कौशल जुटाने में सक्षम थे अन्य विशिष्ठ अभिलक्षण थे मंडप तथा लम्बे स्तम्भों वाले गलियारे जो अक्सर मंदिर परिसर में स्थित देवस्थलों के चारों ओर बने थे
मंडप
विरूपाक्ष मन्दिर के सामने बना मंडप कृष्ण राय के अपने राज्यारोहण के उपलक्ष्य में बनवाया था । इसे सूक्ष्मता से उत्कीर्णत स्तंभों से सजाया गया था पूर्वी गोपुरम के निर्माण का श्रेय भी उसे ही दिया जाता है इन परिधान परिवर्तनों का अर्थ था कि केन्द्रीय दिवाली पूरे परिसर के एक छोटे भाग तक सीमित रह गया था ।
मन्दिर के सभागारों का प्रयोग विविध प्रकार के कार्यों के लिए होता था इनमें से कुछ ऐसे थे जिनमें देवताओं की मूर्तियाँ संगीत नृत्य और नाटकों के विशेष कार्यक्रमों को देखने के लिए रखी जाती थीं अन्य सभागारों का प्रयोग देवी देवताओं के विवाह के उत्सव पर आनन्द मनाने और कुछ अन्य का प्रयोग देवी देवताओं को झूला झुलाने के लिए होता था इन अवसरों पर विशिष्ट मूर्तियों का प्रयोग होता था ।

तीन विभिन्न प्रकार के स्रोतों का स्पष्ट कीजिये जिनके माध्यम से हम गाँधी जी के बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं उनकी व्याख्या करने में आने वाले दो समस्याओं का उल्लेख कीजिये ।
उत्तर :

वैश्वीकरण कक्षा 12 टेस्ट पेपर 01

कक्षा 12 राजनीति विज्ञान वैश्वीकरण

वैश्वीकरण क्या

2 अंको के प्रश्न

  1. वैश्वीकरण क्या है ?
  2. वैश्वीकरण के क्या क्या प्रभाव होते है ?
  3. भारत ने कब नयी आर्थिक नीति अपनाई ?
  4. उदारीकरण और निजीकरण में क्या अंतर है ?
  5. वैश्वीकरण में किसका मुक्त प्रवाह होता है ?
  6. वैश्वीकरण के दो नकारात्मक प्रभाव बताइए l
  7. संरक्षणवाद क्या है ?
  8. वैश्वीकरण के दो उदहारण लिखिए l
  9. WSF क्या है ? यह किस प्रकार वैश्वीकरण पर प्रभाव डाल रहा है ?
  10. प्रोद्यौगिकी के क्षेत्र में वैश्वीकरण का सबसे महत्वपूर्ण प्रभाव क्या है ?

4 अंक वाले प्रश्न

  1. वैश्वीकरण की चार विशेषताएँ लिखे l
  2. वैश्वीकरण के कोई चार सकारात्मक प्रभाव लिखे l
  3. वैश्वीकरण के कोई चार नकारात्मक प्रभाव लिखे l
  4. “वैश्वीकरण राज्य की शक्तियों को सीमित करता है” तर्क देते हुए स्पष्ट कीजिए l
  5. निम्लिखित पर टिप्पणी कीजिए :
    a) मैकडोनाल्डीकरण
    b) नीली जींस
    c) इन्टरनेट
    d) BPO
  1. वैश्वीकरण की चार विशेषताएँ लिखे l
  2. वैश्वीकरण के कोई चार सकारात्मक प्रभाव लिखे l
  3. वैश्वीकरण के कोई चार नकारात्मक प्रभाव लिखे l
  4. “वैश्वीकरण राज्य की शक्तियों को सीमित करता है” तर्क देते हुए स्पष्ट कीजिए l
  5. निम्लिखित पर टिप्पणी कीजिए :
    a) मैकडोनाल्डीकरण
    b) नीली जींस
    c) इन्टरनेट
    d) BPO

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  1. वैश्वीकरण के क्या क्या प्रभाव होते है ?
  2. भारत ने कब नयी आर्थिक नीति अपनाई ?
  3. उदारीकरण और निजीकरण में क्या अंतर है ?
  4. वैश्वीकरण में किसका मुक्त प्रवाह होता है ?
  5. वैश्वीकरण के दो नकारात्मक प्रभाव बताइए l
  6. संरक्षणवाद क्या है ?
  7. वैश्वीकरण के दो उदहारण लिखिए l
  8. WSF क्या है ? यह किस प्रकार वैश्वीकरण पर प्रभाव डाल रहा है ?
  9. प्रोद्यौगिकी के क्षेत्र में वैश्वीकरण का सबसे महत्वपूर्ण प्रभाव क्या है ?
    4 अंको वाले प्रश्न
  10. वैश्वीकरण की चार विशेषताएँ लिखे l
  11. वैश्वीकरण के कोई चार सकारात्मक प्रभाव लिखे l
  12. वैश्वीकरण के कोई चार नकारात्मक प्रभाव लिखे l
  13. “वैश्वीकरण राज्य की शक्तियों को सीमित करता है” तर्क देते हुए स्पष्ट कीजिए l
  14. निम्लिखित पर टिप्पणी कीजिए :
    a) मैकडोनाल्डीकरण
    b) नीली जींस
    c) इन्टरनेट
    d) BPO

Class 9 Social Science Chapter 6 in Hindi लोकतांत्रिक अधिकार कक्षा 9 सामाजिक विज्ञान

लोकतांत्रिक अधिकार कक्षा 9 सामाजिक विज्ञान

अधिकार लोकतांत्रिक मौलिक कानूनी


ग्वांतानामो बे जेल और एमनेस्टी इंटरनेशनल

  • ग्वांतेनामो बे क्यूबा के निकट अमेरिकी सेना का एक नौसैनिक अड्डा है जहां पर पूरे विश्व से लगभग 600 लोगों को कैदी बनाकर रखा गया है ।
  • इन लोगों को अमेरिका में होने वाले 09/11 आतंकवादी घटना के लिए संदेह के आधार पर गिरफ़्तार किया गया है ।
  • ग्वांतेनामो बे द्वीप पर विश्व के किसी भी देश या उसके नागरिकों को या फिर किसी भी अधिकारी को जाने की मनाही है इसके साथ ही संयुक्त राष्ट्र संघ के द्वारा पारित आदेशों को भी अमेरिका इस द्वीप पर लागू नहीं होने देता है और किसी की भी आने से यहां पर मनाही है ।
  • एमनेस्टी इंटरनैशनल जो कि एक अंतर्राष्ट्रीय स्वयंसेवी मानवाधिकार संस्था है ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि ग्वांतेनामो बे जेल में रखे सभी कैदियों के साथ ज्यादतियाँ की जाती है ।

निष्कर्ष :

इस उदाहरण में एक देश दूसरे देशों के अधिकारों का हनन कर रहा है ।
सऊदी अरब में नागरिक अधिकार

  • सऊदी अरेबिया में 1 ही वंश का शासन चलता है और इनका कोई चुनाव नहीं होता इन्हें शाह या राजा कहा जाता है।
  • यहां का शासन कुरान के अनुसार शरिया कानून के अन्तर्गत चलता है और यहां पर कोई लिखित संविधान नहीं है ।
  • शाह विधायिका और कार्यपालिका के सदस्यों की नियुक्ति करते हैं इसके साथ ही जजों की नियुक्ति भी शाह करते हैं ।
  • इस देश में लोग पार्टियां नहीं बना सकते हैं और यहां पर किसी भी प्रकार का चुनाव संपन्न नहीं होता है ।
  • लोग राजनैतिक पार्टियां और संगठन नहीं बना सकते मीडिया को शाह की बिना इजाजत के कोई भी खबर छापने की इजाज़त नहीं है ।
  • इस देश में औरतों को बहुत कम अधिकार प्राप्त है किसी गैरमर्द के साथ औरतों को बाहर जाने की मनाही है इसके लिए सख्त कानून बनाया गया है ।
  • यहां पर धार्मिक स्वतंत्रता नहीं है और सिर्फ़ मुसलमान ही देश के नागरिक बन सकते हैं किसी और धर्म को अपने घर के अन्दर ही अपने धर्म का पालन करने की इजाजत है सार्वजनिक रूप से कोई भी कार्यक्रम गैर मुस्लिम लोग नहीं कर सकते हैं ।

निष्कर्ष :

यहां के नागरिकों को कोई भी राजनैतिक कानूनी या संवैधानिक अधिकार प्राप्त नहीं है ।

कोसोवो का नरसंहार

  • कोसोवो यूरोप में स्थित एक देश युगोस्लाविया का एक प्रांत था जहाँ पर अल्बानियाई लोगों की संख्या अधिक थी । युगोस्लाविया में सर्ब और अल्बानियाई दो प्रकार की जातियों के लोग रहते थे ।
  • उग्र राष्ट्रवाद के समर्थक मिलोसेविक ने चुनावों में भारी जीत दर्ज की और वे सर्ब लोगों के पक्षधर थे । उनका मानना था कि देश में सिर्फ़ 1 ही प्रकार की जाति के लोग रहने चाहिए जो सर्ब लोग थे ।
  • मिलोसेविक ने सर्ब लोगों का देश पर नियंत्रण करने के लिए अल्बानियाई लोगों की हत्या करवाई और बहुत बड़े स्तर पर उनके साथ कठोर और सख्ती से पेश आए ।
  • युगोस्लाविया में मिलोसेविक की सरकार एक चुनी हुई सरकार थी । संयुक्त राष्ट्र संघ के हस्तक्षेप के द्वारा अल्बानियाई लोगों पर हुए अत्याचार को रोकने के कारण युगोस्लाविया के कई टुकड़े हो गए ।
  • बोसनिया हरजेगोविना, क्रोएशिया, मैसेडोनिया, मोंटेनेग्रो और सर्बिया, स्लोवेनिया ये सभी देश आज स्वतंत्र देश है जो कभी युगोस्लाविया के प्रान्त हुआ करते थे ।

निष्कर्ष

लोकतंत्र को सही से लागू न कर पाने के कारण युगोस्लाविया के कई टुकड़े हो गए ।

अधिकार

ये लोगों के तार्किक दावे हैं इन्हें समाज में स्वीकृति और अदालतों द्वारा मान्यता मिली होती है । अधिकार हमें खुशी से बिना डर भय के और अपमानजनक व्यवहार से बचकर जीने में मदद करते हैं इसके साथ ही अधिकार वे हैं जो दूसरों के अधिकारों के भी आदर और सम्मान करें न कि उनके अधिकारों का हनन करे ।

भारतीय संविधान में अधिकार

भारतीय संविधान में नागरिकों को 3 प्रकार के अधिकार प्राप्त है :

मौलिक

कानूनी

राजनैतिक

कानूनी अधिकार

वे अधिकार जो सरकार बनाती है जो जनता यानी समाज की भलाई के लिए जरूरी होते हैं ऐसे अधिकारों के लिए नागरिक न्यायालय में मुकद्दमा नहीं कर सकता सरकार के ख़िलाफ़ नहीं जा सकता है । बशर्ते इन क़ानूनों में मौलिक अधिकारों का हनन न हो रहा हो ।

राजनैतिक अधिकार


भारतीय संविधान में नागरिकों को राजनैतिक अधिकार के रूप में वोट यानि कि मतदान करने का अधिकार दिया गया है जो कि संविधान के द्वारा दिया गया एक बहुत ही महत्त्वपूर्ण अधिकार है ।

मौलिक अधिकार

वे अधिकार जो मनुष्य के जीवन जीने के लिए बुनियादी अधिकार होते हैं उन्हें मौलिक अधिकार कहा जाता है । भारतीय संविधान में 6 प्रकार के मौलिक अधिकारों का वर्णन किया गया है प्रारम्भ में भारतीय संविधान में 7 मौलिक अधिकार थे जिसमें 1 सम्पत्ति का अधिकार भी मौलिक अधिकार था ।

समानता का

स्वतंत्रता का

धार्मिक स्वतंत्रता का

शैक्षणिक एवं सांस्कृतिक

शोषण के विरूद्ध

संवैधानिक उपचारो का

समानता का अधिकार


समानता के अधिकार के अनुसार देश में छुआछूत ऊंच नीच और अपृश्यता को गैरकानूनी करार दिया गया है भारत के सभी नागरिक चाहे वो किसी भी जाति किसी भी धर्म किसी भी वर्ग या समुदाय से सम्बन्ध रखते हों को एक समान माना गया है संविधान की दृष्टि में सभी नागरिक एक समान है चाहे वो अमीर हो या गरीब ।
स्वतन्त्रता का अधिकार
स्वतन्त्रता के अधिकार के अन्तर्गत देश में कोई भी नागरिक बिना रोक टोक के कहीं भी आ जा सकते हैं कोई भी कार्य यानी कि रोज़गार कर सकते हैं अपनी अभिव्यक्ति को प्रकट कर सकते हैं । स्वतन्त्रता के अधिकार के अन्तर्गत कई प्रकार की स्वतन्त्रता दी गयी है जो निम्नलिखित हैं :

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता

शांतिपूर्ण ढंग से जमा होने की स्वतंत्रता

कोई भी संस्थान या संगठन या संघ बनाने की स्वतन्त्रता

देश में कहीं भी आने जाने की स्वतंत्रता

कोई भी धंधा या पेशे चुनने की स्वतन्त्रता

शोषण के विरूद्ध अधिकार

कोई भी रहने और बसने की स्वतन्त्रता


समानता और स्वतंत्रता का अधिकार देते समय संविधान निर्माताओं ने इसका ख्याल रखा कि किसी भी नागरिक का शोषण न हो सके ताकि शक्तिशाली वर्ग कमज़ोर वर्गों के लोगों का शोषण न कर सके खासतौर से महिलाओं का शोषण ।

शोषण के विरूद्ध अधिकार के अन्तर्गत बंधुआ मजदूरी पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगा दिया गया है

ऐसे किसी भी स्थान पर 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों को नहीं लगाया जा सकता काम पर जहां उनकी जान को ख़तरा हो ।

मानव तस्करी पर पूर्णरूप से प्रतिबंध लगा दिया गया अर्थात किसी भी कार्य के लिए चाहे नैतिक और अनैतिक हो किसी मानव की खरीद और फरोख्त नहीं की जाएगी ।

धार्मिक स्वतन्त्रता का अधिकार


भारतीय संविधान के अनुसार किसी भी धर्म को संरक्षण नहीं प्रदान किया गया है अर्थात व्यक्ति अपने धर्मों का पालन स्वयं कर सकते हैं उनको किसी प्रकार की रोकटोक नहीं है । धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार के अंतर्गत देश में किसी भी नागरिक को कोई भी धर्म अपनाने उसको मानने और उसका प्रचार प्रसार करने की छूट दी गई है ।

आस्था और प्रार्थना करने की आज़ादी

किसी भी धर्म को मानने उसका प्रचार प्रसार करने की आज़ादी

किसी भी धर्म के प्रचार प्रसार करने के लिए संस्था या संगठन बनाने की आज़ादी

शैक्षणिक एवं सांस्कृतिक अधिकार


भारतीय संविधान में शैक्षणिक एवं सांस्कृतिक अधिकार विशिष्ट तौर से अल्पसंख्यकों की संस्कृति को बचाए रखने के लिए बनाया गया है ।

अल्पसंख्यकों की संस्कृति एवं भाषा संरक्षण का अधिकार दिया गया है ।

अल्पसंख्यकों को अपने शैक्षिक संस्थाएं स्थापित करने का अधिकार दिया गया है ।

संवैधानिक उपचारों का अधिकार

संवैधानिक उपचारों के अन्तर्गत सभी नागरिकों को अगर उनके अधिकारों का हनन होता प्रतीत होता है या उनके अधिकारों का हनन हो रहा है तो वह न्यायालय की शरण में आ सकते हैं मौलिक अधिकारों की सुनवाई सीधा सर्वोच्च न्यायालय या हाईकोर्ट यानि की उच्च न्यायालय में हो सकती है ।
मौलिक अधिकार लागू करवाने के लिए कोई भी नागरिक न्यायालय की शरण में जा सकता है ।


Class 9 Social Science in hindi Chapter 6 लोकतांत्रिक अधिकार कक्षा 9 सामाजिक विज्ञान नोट्स

https://drive.google.com/file/d/1ObcYVGQ9EJcw5Fk3GiIOHyJI34lvQDah/view?usp=drivesdk