हड़प्पा सिन्धु घाटी सभ्यता

The Indus Valley Civilization is one of the ancient civilisation. the gems and stones of Indus civiliszation

हड़प्पा सिन्धु घाटी सभ्यता मुख्य रूप से एक नगरीय सभ्यता थी l हड़प्पा सभ्यता नगरीय सभ्यता होने के कई कारण है l वर्तमान से लगभग 53 00 वर्ष पहले सभ्यता का अस्तित्व शुरू हुआ l पुरातत्ववेताओं में जोह्न मार्शल, आर. ई. एम. व्हीलर, दयाराम साहनी, राखालदास बनर्जी के साथ साथ आधुनिक पुरातत्ववेत्ताओं का योगदान सराहनीय है l

  • हड़प्पा सभ्यता की खोज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले व्यक्तित्व
  • सैन्धव या हड़प्पा सभ्यता का विस्तार
  • सिन्धु घाटी सभ्यता के महत्वपूर्ण नगर
  • हड़प्पा सभ्यता नगरीय सभ्यता होने के प्रमाण
  • सैन्धव सभ्यता का सामाजिक ताना बाना
  • हड़प्पा सभ्यता की आर्थिक गतिविधियाँ और मापक प्रणाली
  • महत्वपूर्ण शिल्प कलाकृतियाँ
  • प्रमुख नगर और उनके महत्त्व
  • हड़प्पा सभ्यता का पतन
  • मैप कार्य

हड़प्पा सभ्यता नगरीय सभ्यता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले व्यक्तित्व

हड़प्पा सिन्धु घाटी सभ्यता
सिन्धु घाटी सभ्यता में प्राप्त मनके

एलेग्जेंडर कनिंघम

भारतीय पुरातत्व विभाग के जनक और प्रथम जनरल डायरेक्टर बने l सन 1861 में भारतीय पुरातत्व विभाग की स्थापना की l हड़प्पा की सबसे पहली मोहर इनके पास पहुची l हड़प्पा के महत्त्व को समझने में भूल की l परिणामस्वरूप लोगो ने कालान्तर में अपने घर बनाने के लिए हड़प्पा के अवशेषो से ईंटों का चुराना जारी रखा l जिससे हड़प्पा की जानकारी हमेशा के लिए नष्ट हो गयी l

जॉन मार्शल

सन 1921 में जॉन मार्शल भारतीय पुरातत्व विभाग के डायरेक्टर जनरल बने l इनका कार्यकाल भारतीय इतिहास के लिए सुनहरा काल था l कनिंघम के विपरीत हड़प्पा और मोहनजोदड़ो की खोज के लिए दयाराम साहनी और राखाल दास बनर्जी को मौका दिया l सन 1924 में दुनिया के सामने एक नयी संस्कृति का उद्भव हुआ l जॉन मार्शल में हड़प्पा सभ्यता के बारे में पूरी दुनिया को बताया गया l

आर.ई.एम. व्हीलर

आज नगरीय सभ्यता को लेकर जो जानकारी है उसमे व्हीलर का योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण है l व्हीलर सेना में ब्रिगेडियर थे l टीलों की खुदाई के लिए एक नए दृष्टिकोण को अपनाया l टीलों के क्षैतिज स्तर विन्यास की स्थान पर टीलें के समान्तर स्तर विन्यास की खुदाई करवाई जिससे विभिन्न कालखंड की वस्तुएँ अलग अलग रखी जा सकी l इससे पहले विभिन्न कालखंड की वास्तुओं को एक ही समूह में रख दिया जाता था जिससे पुरातत्व की सटीक जानकारी हमेशा के लिए विलुप्त हो जाती थी l

सिन्धु या हड़प्पा सभ्यता का विस्तार

हड़प्पा सभ्यता का विस्तार आज के पाकिस्तान के बलूचिस्तान, पंजाब और सिंध राज्य से लेकर भारत में जम्मू, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, गुजरात और पश्चिमी उत्तर प्रदेश तक था l उत्तर में जम्मू के गुमला और दक्षिण में गुजरात सूरत जिले के हलवाना में, पश्चिम में उत्तर प्रदेश के अलमगीरपुर तथा पूर्व में पाकिस्तान के सुतकागेंडोर तक फैला था l उत्तर-पश्चिम का सबसे सुदूर क्षेत्र शोर्तुघई था l

हड़प्पा सिन्धु घाटी सभ्यता
हड़प्पा से प्राप्त मेसोपोटामिया की एक मुहर

हड़प्पा सिन्धु घाटी सभ्यता के महत्वपूर्ण नगर

पुरातात्विक खोजो से निकलकर जो जानकारी सामने आयी है l उसके आधार पर हड़प्पा सभ्यता के नगरो को निम्नलिखित भागो में वर्गीकृत किया जा सकता है :

  1. महानगर – हड़प्पा, मोहनजोदड़ो, राखीगढ़ी, कोटदीजी l
  2. उत्पादन नगर – चाहुँदडो, नागेश्वर, बालाकोट, लोथल और धौलावीरा l
  3. बंदरगाह नगर – सुतकागेंडोर, नागेश्वर, बालाकोट और लोथल l

और अधिक ज्ञान प्राप्त करने के लिए पढ़ें हमारा यह आर्टिकल : ईंधन के रूप में एथेनोल

हड़प्पा या सभ्यता के नगरीय सभ्यता होने के प्रमाण

हड़प्पा सिन्धु घाटी सभ्यता की सबसे महत्वपूर्ण इंजीनियरिंग है इसकी जल निकास प्रणाली l इसके बाद भवन और सड़क नियोजन प्रणाली l आइये अब उन सभी बिन्दुओं पर प्रकाश डालते है जो हड़प्पा सभ्यता को एक नगरीय सभ्यता बनाती है l

  • नगर नियोजन व्यवस्था – नगरो को ग्रिड प्रणाली के अनुसार बसाया गया था l ऐसा प्रतीत होता है की पहली नाली और सड़कों को निर्माण किया गया l इसके बाद घरों को निर्माण किया गया था l
  • नगरों को दो भागों में निर्मित किया गया था l इनको दुर्ग और निचला नगर कहा जाता है l नगर को किलेबंद किया गया था l दुर्ग मिटटी के बने उच्चे चबूतरे पर होता था l जबकि निचला शहर भी किलेबंद होता था l
  • प्रत्येक भवन की कम से कम एक दीवार सड़क के साथ प्रत्यक्ष संपर्क में थी l सड़के एक दुसरे को समकोण पर काटती थी l
  • जल निकास प्रणाली – सिन्धु घाटी सभ्यता के लगभग सभी नगरो में जल निकास प्रणाली विकसित थी l इसके व्यापक प्रमाण मिलते है l
  • मोहनजोदड़ो में सड़क के बीचो बीच नाली का निर्माण किया गया था l नालियों का निर्माण इस प्रकार से किया गया था की सफाई के लिए इन्हें खोला जा सके l
  • मोहनजोदड़ो में नालियों के किनारे कही कही गाद मिली है जो इस ओर इशारा करती है की नालियों की सफाई नियमित रूप से की जाती थी l
  • भवन निर्माण – सिन्धु घाटी सभ्यता के नगरों में भवनों ज्यामिति आकृतियों का उपयोंग कम किया गया है l लगभग सभी भवन चकोर बनाये जाते थे l भवनों में बेलनाकार स्तम्भ देखने को नहीं मिलते है l
  • तौल और नाप में परिशुध्द्ता– हड़प्पा सभ्यता में बाँटो का उपयोग किया जाता था l बाँट चर्ट नामक पत्थर से बनते थे l जो प्रायः घनाकार होते है l बाँटो की छोटी इकाई द्विआधारी और बड़ी इकाई दशमलव प्रणाली पर आधारित थी l
  • मुहरों का उपयोग – हड़प्पा सभ्यता में सेलखड़ी नामक पत्थर से मुहरों का निर्माण किया जाता था l व्यापर में वस्तुओं को पैककर के उनके मुहाने को बान्धकर मुहर लगा देते थे l
  • विलासिता की वस्तुएँ – कार्ललिनियन और लाजवर्द जैसे कीमती पत्थरों का उपयोग आभूषण बनाने में किया जाता था l फ्यांस से रोजमर्रा की जिंदगी में उपयोग की जाने वाले बर्तनों को निर्माण किया जाता था l मनको का उपयोग होता था l विलासिता की वस्तुएँ प्रायः बहुत कम मात्रा में मिलती है l जिससे यह पता चलता है की ये वस्तुएँ विशेष लोगो के लिए ही बनाई जाती थी l
हड़प्पा सभ्यता
हड़प्पा सभ्यता में प्राप्त एक शावाधन

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