भूगोल एक विषय के रूप में

भूगोल एक विषय के रूप में क्या होता है? आइये आज हम इसकी विस्तार से चर्चा करेंगे l

भूगोल एक विषय के रूप में
भूगोल एक विषय के रूप में

भूगोल एक विषय के रूप में

इरेटास्थानीज  एक ग्रीक विद्वान (276 – 194 ईसा पूर्व) ने सर्वप्रथम भूगोल शब्द का उपयोग किया था l भूगोल शब्द ग्रीक भाषा के जियोग्राफी(Geography) से बना है l  जिओ(Geo) का अर्थ होता है पृथ्वी ग्रफोस(Graphos) का अर्थ होता है वर्णन इस प्रकार से भूगोल का शाब्दिक अर्थ हुआ पृथ्वी का वर्णन l

यहां भूगोल शब्द को बहुत विस्तार से समझने की जरूरत है पृथ्वी का अध्ययन का तात्पर्य यह है कि पृथ्वी पर आने वाले रहने वाले सभी प्रकार के पेड़-पौधे पशु-पक्षी मानव निर्जीव भौतिक कारक जैसे मृदा वायु जल और इनके बीच पनपने वाले जीवन का अध्ययन करना है l

पृथ्वी हमारा आवास है और इस आवास में मानव के साथ-साथ छोटे छोटे जीव जंतु एवं पेड़ पौधे भी निवास करते हैं इसके भौतिक स्वरूप में पर्वत,पहाड़िया, घाटिया, मैदान, पठार समुद्र, मरुस्थल, वन एवं उजाड़ क्षेत्र मिलते हैं l

CSE Polity Notes in Hindi

पृथ्वी का अध्ययन : प्राकृतिक विज्ञान और सामाजिक विज्ञान के रूप में

भूगोल एक विषय के रूप में
भूगोल एक विषय के रूप में भूगोल एक विषय के रूप में

भूगोल भौतिक कारको और मानवीय क्रियाकलाप के संबंध का अध्ययन भी करता है l  भूगोल को केवल जियोलॉजी समझ लेना सही नहीं होगा l भूगोल का संबंध जीवन के हर उस पहलू से है जिसमें हम रहते हैं समझते हैं और उसका अध्ययन करते हैं l 

प्राकृतिक विज्ञान की सभी प्रकार की शाखाएं जैसे जंतु विज्ञान,वनस्पति विज्ञान, समुद्र विज्ञान, मौसम विज्ञान, भूमि की मृदा विज्ञान, सह विज्ञान, सामाजिक विज्ञान इत्यादि सभी प्रकार के विज्ञान भूगोल का ही एक अंग है l  इसके अलावा अनेक सहयोगी विषय जैसे अर्थशास्त्र इतिहास समाजशास्त्र राजनीति विज्ञान विज्ञान इत्यादि सभी भूगोल के अंतर्गत ही आते हैं l 

भूगोल का वर्गीकरण

इस अध्याय के अंतर्गत हम पृथ्वी के भौतिक कारक मानवीय क्रियाकलापों और उनके बीच होने वाले अन्य क्रियाओं के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे l  पृथ्वी के अध्ययन को भूगोल कहा जाता है l

पृथ्वी पर दो प्रकार के कारक पाए जाते हैं l

  1. प्रथम भौतिक कारक जिसमें वायु मृदा जल इत्यादि शामिल हैं l
  2. द्वितीय मानव एवं उसके क्रियाकलाप l

मानव अपने सदज्ञान और अनुभव के कारण इसमें फेरबदल करके इसे अपने अनुकूल बना लेता है l 

 इसके साथ ही सामाजिक एवं सांस्कृतिक तत्वों में भी भिन्नता पाई जाती है जो सांस्कृतिक विकास की पूर्ण अवधि में मानव द्वारा बनाए गए गांव नगरों सड़कों रेलो बंदरगाहों बाजारों एवं मानव जनित अन्य कई तत्वों के रूप में विद्यमान  हैं l

एक वैज्ञानिक विषय के रूप में भूगोल तीन वर्गीकृत प्रश्नों से संबंधित है:

  1. कुछ प्रश्न धरातल पर पाए जाने वाले प्राकृतिक एवं सांस्कृतिक विशेषताओं के प्रतिरूप की पहचान से जुड़े होते हैं जो क्या प्रश्न के उत्तर देते हैं l
  2. कुछ प्रश्न पृथ्वी पर भौतिक सांस्कृतिक तत्वों के वितरण से संबंधित होते हैं जो कहां प्रश्न से संबंध होते हैं l
  3. सब मिलाकर उक्त दोनों प्रश्नों में प्राकृतिक एवं सांस्कृतिक तत्वों के वितरण एवं स्थिति को ध्यान में रखा गया है l इन प्रश्नों से कौन से तत्व कहां स्थित हैं? से संबंधित सूचीबद्ध सूचनाएं प्राप्त होती हैं l इन दोनों प्रश्नों के अलावा भूगोल का तीसरा प्रश्न क्यों शब्द से जुड़ा हुआ है l 

भूगोल की शाखाएँ

 भूगोल एक इंट्रडिसीप्लिनरी विषय है प्रत्येक विषय का अध्ययन कुछ उपागम एप्रोच के अनुसार किया जाता है l 

इस दृष्टि से भूगोल के अध्ययन के दो प्रमुख अप्रोच हैं :

विषय वस्तु का क्रमबद्ध –  अलेक्जेंडर वॉन हंबोल्ट जर्मन भूगोलवेत्ता

विषय उपागमन के आधार पर
विषय उपागमन के आधार पर

दूसरा प्रादेशिक –  कार्ल रिटर

भूगोल प्रादेशिक उपागम के आधार पर
भूगोल प्रादेशिक उपागम के आधार पर

पहला विषय वस्तु का क्रमबद्ध –  अलेक्जेंडर वॉन हंबोल्ट जर्मन भूगोलवेत्ता:

विषय वस्तु के उपागम में एक तथ्य का पूरे विश्व स्तर पर अध्ययन किया जाता है तत्पश्चात क्षेत्रीय स्वरुप केवर्गीकृत प्रकारों की पहचान की जाती है l 

दूसरा प्रादेशिक –  कार्ल रिटर

प्रादेशिक उपागम में विश्व को विभिन्न पदानुक्रम स्तरों के प्रदेशों में विभक्त किया जाता है l  फिर एक विशेष प्रदेश में सभी भौगोलिक तथ्यों का अध्ययन किया जाता है यह प्रदेश प्राकृतिक तत्वों का अध्ययन यह प्रदेश प्राकृतिक राजनीति क्या नामित प्रदेश हो सकते हैं l

प्रिय संघ लोक सेवा आयोग (upsc) CSE की प्रिपरेशन करने वाले छात्रों के लिए यहाँ नोट्स लिंक दिए गए है l  

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