आज 24, मई 2022 को साकेत कोर्ट में क़ुतुबमीनार पूजा का अधिकार को लेकर बहस हुई l भारत में अब पुनर्जागरण हो रहा है l पुनर्जागरण हिंदुत्व के परिप्रेक्ष्य में l भारत के धार्मिक इतिहास पर अब बड़े स्तर पर चर्चा हो रही है l मुगलों के मंदिर की जगह मस्जिद बनाने और हिन्दुओं को जबरन मुस्लिम बनाने पर चर्चा जोरो पर है l अब प्रश्न यह उठता है की क्या कुतुबमीनार परिसर में हिन्दुओं को पूजा करने का अधिकार मिलेगा ?
इतिहास गवाह है की मुगलकाल में मंदिरों को तोड़कर मस्जिद बड़े स्तर पर बनायीं गई थी l विशेष तौर पर औरंगज़ेब काल में l मुगलों के बाद अंग्रेजो के शासन में भी फुट डालो और राज करो की निति ने मुस्लिमो को धार्मिक कट्टर बनाया l इसके बाद स्वतंत्र भारत में कांग्रेस ने स्थिति को ज्यो की त्यों बनाये रखा l कांग्रेस के 70 सालो के दौरान हिन्दू या हिंदुत्व को बढ़ावा न मिला l
ASI ( अर्कियोलोजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया ) ने इस परिसर का अधिग्रहण सन 1914 में किया था l तब यहाँ पर कोई पूजा पाठ या नमाज़ नहीं होती थी l लेकिन सन 2016 में यहाँ परिसर के पास मस्जिद में 4 लोगो ने नमाज़ पढने लगे धीरे धीरे यहाँ पर लगभग 50 लोगो ने यह कार्य शुरू कर दिया l हालत यह है की अब मुस्लिम पक्ष इसे अपनी सम्पति समझने लगा है l हालाँकि ASI ने फ़िलहाल नमाज़ अदा करने पर पाबन्दी लगा दी है l
हिन्दू पक्ष के वकील की दलील है की यहाँ पर 27 मंदिरों को तोड़कर कुतुबमीनार और परिसर का निर्माण किया गया है l मुहम्मद गौरी के गुलाम और सेनापति कुतुबद्दीन ऐबक ने गौरी के आदेश पर मंदिरों को तोड़कर कुतुबमीनार , मस्जिद और परिसर का निर्माण किया था l इस आधार पर वकील ने कुतुबमीनार परिसर में पूजा करने का अधिकार माँगा है l
इस केस में साकेत कोर्ट ने मामला सुरक्षित रख लिया है l 9 मई को इस केस पर फैसला आना है l
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