महात्मा गाँधी और राष्ट्रीय आन्दोलन
कक्षा 12 इतिहास
महत्वपूर्ण नोट्स
प्रमुख राष्ट्रवादी नेता और उनके देश
- गैरीबाल्डी — इटली
- अमेरिका — जार्ज वाशिंगटन
- वियतनाम — हो चि मिन्ह
- भारत — महात्मा गाँधी
महात्मा गाँधी का भारतीय राजनीति में पदार्पण :
- महात्मा गाँधी ने भारतीय राजनीति में सन 1915 में भारत की धरती पर कदम रखा इससे पहले वह लन्दन में कानून की पढाई करके साउथ अफ्रीका में वकालत कर रहे थे l
- दक्षिण अफ्रीका में गाँधी जी ने सत्याग्रह किया था और उन्हें इसमें सफलता भी मिली थी l इसलिए लोग उन्हें पहचानने लगे थे l
- गोपाल कृष्ण गोखले ने गाँधी जी को एक वर्ष तक भारत भ्रमण के लिए कहा ताकि वह भारत और भारत के लोगो को जान सके l इसलिए गोपाल कृष्ण गोखले को गाँधी जी का राजनितिक गुरु कहा जाता है l
- सामूहिक रूप से गाँधी जी की उपस्थिति सन 1916 में बनारस में दर्ज की गयी थी जब वह बनारस हिन्दू विश्विद्यालय के स्थापना पर उद्घाटन समारोह में गए थे l
- गाँधी जी ने कहा की स्वराज का हमारा मकसद तब तक पूरा नहीं हो सकता जब तक की किसानो और गरीबों के हालत नहीं सुधारे जायेंगे l
- किसानों के खेती समस्या को लेकर गाँधी जी ने सन 1916 में चंपारण में सत्याग्रह किया l
- गाँधी जी ने चम्पारण के बाद अहमदाबाद में सूती मील के मजदूरों के लिए और खेड़ा में किसानों की फसल ख़राब होने पर कर माफ़ करने के लिए सत्याग्रह किया और सफलता प्राप्त की l
- गाँधी जी 1 अगस्त 1920 में असहयोग आन्दोलन, 1931 में सविनय अवज्ञा आन्दोलन और 1942 में भारत छोडो आन्दोलन किये जिसने अंग्रेजी सरकार की नीव हिला दी और उसे भारत छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा l
असहयोग आन्दोलन
असहयोग आन्दोलन गाँधी जी के द्वारा 1 अगस्त 1920 को प्रारंभ किया गया था l इस आन्दोलन का प्रमुख विषय था “ब्रिटिश सरकार को किसी भी कार्य में सहयोग न करना” l
असहयोग आन्दोलन के कारण :
- प्रथम विश्वयुद्ध के बाद ब्रिटिश सरकार ने प्रेस पर प्रतिबन्ध लगा दिया था l
- सरकार का विरोध करने वालों को संदेह के आधार पर गिरफ्तार कर बिना मुक़दमा चलाये दो साल तक जेल में रखे जा सकने का कानून पास कर दिया l
- इस कानून की देख रेख सर सिडनी रौलट की समिति कर रही थी इसलिए इसे रौलट एक्ट कहा गया l
- अप्रैल 1919 में रौलट एक्ट का विरोध करने के लिए पंजाब के जलियावाला बाग़ में हजारो लोग इक्कठे हुए l पंजाब के सैनिको को प्रथम विश्वयुद्ध के बाद इनाम की उम्मीद थी क्योकि युद्ध में पंजाब के बहुत से सैनिको ने ब्रिटिश सरकार के लिए लड़ाई लड़ी थी लेकिन उनके हाथ कुछ नहीं लगा l
- जलियावाला बाग़ में केवल एक ही निकास दरवाजा था जनरल डायर ने लोगो को घेर कर निहथे लोगो पर गोलियाँ बरसा दी l
- इस घटना में लगभग 900 लोग मरे गए और 1500 से 2000 लोग घायल हुए l इस घटना के बाद पूरे देश में ब्रिटिश सरकार के प्रति रोष फ़ैल गया और सरकार को जड़ से उखाड़ फेकने की मांग तेज हो उठी l
- इन सब कारणों से गाँधी जी ब्रिटिश सरकार को किसी भी सरकारी कार्य में सहयोग न करने की अपील की और असहयोग आन्दोलन की शुरुआत की l
असहयोग आन्दोलन की रूप रेखा
- असहयोग आन्दोलन 1857 की क्रांति से भी ज्यादा लोकप्रिय था l जो औपनिवेशिक साम्राज्य को उखाड़ फेकने में बिलकुल सक्षम थी l
- इसमें हर वर्ग से लोगो ने भाग लिया और आन्दोलन को मजबूत किया l
- विद्यार्थियों ने सरकार द्वारा चलाए जा रहे स्कूलों और कालेजों में जाना बंद कर दिया l
- वकीलों ने अदालत में जाने से मना कर दिया l
- कई कस्बों और शहरों में श्रमिक वर्ग हड़ताल पर चले गए l सरकारी आंकड़ों के अनुसार 1921 में 396 हड़ताले हुई जिनमे 6 लाख श्रमिक शामिल थी l
- इस हड़ताल के दौरान लगभग 70 लाख कार्य दिवसों का नुकसान हुआ l
- ग्रामीणों ने वन्य कानून की अवहेलना कर दी l अवध की किसानों ने कर देना बंद कर दिया l
- कुमाऊ के किसनों ने अंग्रेजी सरकार का सामान उठाने से मना कर दिया l
- अलग अलग समुदाय और वर्गों के लोगो ने अपने अपने तरीके से असहयोग किया l
असहयोग आन्दोलन के परिणाम :
नमक सत्याग्रह/सविनय अवज्ञा आन्दोलन
- ब्रिटिश राज में नमक के उत्पादन पर राज्य का एकाधिकार था और वह उस पर बहुत अधिक कर लगाता था l परिणामस्वरूप नमक काफी ऊंची कीमत पर मिलता था l
- गाँधी जी के नज़र में नमक सबके भोजन की जरूरत है और इस पर राज्य का एकाधिकार गलत है l आम लोगो के लिए नमक अपरिहार्य था l
- इसलिए गाँधी जी ने गुजरात के दांडी नमक तट पर नमक बनाकर नमक कानून तोड़ा l इस पूरी आन्दोलन को नमक सत्याग्रह के नाम से जाना जाता है l
नमक सत्याग्रह का प्रारंभ :
- 12 मार्च 1930 को गाँधी जी ने साबरमती में अपने आश्रम से समुन्द्र की ओर चलाना प्रारंभ किया l तीन हफ्तों बाद वह दांडी पहुचे l
- दांडी में नमक बनाकर उन्होंने नमक कानून तोड़ा और कानून की नज़र में अपराधी बन गए l
- इसके साथ ही गाँधी जी ने सभी लोगो से अपील की की वह सभी सरकारी कार्यो का बहिष्कार करे l इन सरकारी कार्यो में वह कार्य मुख्य रूप से शामिल थे जिनपर ब्रिटिश सरकार ने गलत तरीके से कर लगा दिया था l
- शराब की दुकानों अफीम और विदेशी कपड़ों की दुकानों पर धरना दिया जाने लगा l
- विदेशी वस्तुओं को इकठ्ठा कर जलाया जाने लगा l ब्रिटिश सरकार को कर देना बंद किया जाने लगा था l
- लोगो ने पूरे देश में जगह जगह नमक सत्याग्रह के साथ साथ सरकार विरोधी यात्रायें आयोजित की l
- और इस प्रकार से एक बार फिर से जनांदोलन उठ खड़ा हुआ l इस आन्दोलन को सविनय अवज्ञा आन्दोलन कहा गया l
सविनय अवज्ञा आन्दोलन
- सविनय अवज्ञा आन्दोलन भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के द्वारा चलाया गया था l कांग्रेस स्वराज की मांग कर रही थी लेकिन ब्रिटिश सरकार इसे टालने में लगी हुई थी l
- जब कांग्रेस को लगने लगा की ब्रिटिश सरकार स्वराज देने के लिए राजी नहीं होगी तो 1929 में कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन में घोषणा की गयी की अब “पूर्ण स्वराज” प्राप्त किया जायेगा l
- 6 अप्रैल 1930 को महात्मा गाँधी ने नमक बनाकर इस आन्दोलन की शुरुआत की l
सविनय अवज्ञा आन्दोलन का प्रभाव :
- इस आन्दोलन से महात्मा गाँधी जी विश्व पटल पर छा गए l अमेरिकी और ब्रिटिश मीडिया में गाँधी जी पर काफी बहस होने लगी l
- सविनय अवज्ञा आन्दोलन असहयोग आन्दोलन से भी ज्यादा लोकप्रिय हुआ और इसने अंग्रेजी सरकार की नीव हिला दी l
- अंग्रेजी सरकार को मजबूरन वार्ता के लिए हाथ आगे बढ़ाना पड़ा और और पहली गोलमेज सम्मलेन 1930 नवम्बर में आयोजी की गयी जो असफल रही l
- जनवरी 1930 में गाँधी इरविन समझौता हुआ जिसकी शर्तो के अनुसार सविनय अवज्ञा आन्दोलन को वापस लेना था l
- गाँधी इरविन समझौते की शर्तो ने अनुसार आन्दोलन के कैदियों की रिहाई और तटीय इलाकों में नमक उत्पादन की अनुमति देना शामिल था l
- इस आन्दोलन के परिणामस्वरूप ब्रिटिश सरकार 1935 में गवेर्न्मेंट ऑफ़ इंडिया एक्ट लेकर आयी जिसके अंतर्गत भारतीयों को शासन व्यवस्था का आश्वासन दिया गया l
भारत छोड़ो आन्दोलन
- क्रिप्स मिशन के विफल होने के बाद गाँधी जी ने तीसरा सबसे बड़ा आन्दोलन शुरु किया l
- भारत छोड़ो आन्दोलन अगस्त 1942 में शुरू किया गया l आन्दोलन शुरू होने से पहले ही गाँधी जी को गिरफ्तार कर लिया गया l
- जय प्रकाश नारायण ने भारत छोड़ो आन्दोलन में भूमिगत होते हुए बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई l
- यह आन्दोलन पूरे देश में फैला और परिणाम स्वरुप यह इतना बड़ा हो गया की इसको दबाने में सरकार को पूरे 1 वर्ष लग गए ल
- इस आन्दोलन में नवयुवकों ने बहुत बड़ी संख्या में भाग लिया l
- भारत छोड़ो आन्दोलन सही मायनों में एक जनांदोलन था जिसमे लाखों हिन्दुस्तानियों ने भाग लिया था l
मुस्लिम लीग
- मुस्लिम लीग की स्थापना 30 दिसम्बर 1906 को ढाका में की गयी थी l
- मुस्लिम लीग का पूरा नाम अखिल भारतीय मुस्लिम लीग था l
- मार्च 1940 में मुस्लिम लीग ने पाकिस्तान के नाम से एक पृथक राष्ट्र की स्थापना का प्रस्ताव पारित किया l
- हिन्दू राष्ट्र के रूप में भारत के उभरने से मुसलमानों में भय का माहौल बनने लगा था l इस समस्या को हल करने के लिए मोहम्मद अली जिन्ना ने मुस्लिम लीग की स्थापना की l
- सन 1947 में मुस्लिम लीग ने पाकिस्तान की मांग ना माने जाने की वजह से पाकिस्तान राष्ट्र प्राप्त करने के लिए सीधी कार्यवाही करते हुए हजारो लोगो को मौत के घाट उत्तर दिया जिससे पूरे देश में दंगा भड़क उठा l
महात्मा गाँधी के जीवन का आखिरी वर्ष
- भारत राष्ट्र अब स्वतन्त्र हो चूका था और पूरा देश इसकी खुशियाँ माना रहा था l दिल्ली में आज़ादी का जश्न मनाया जा रहा था लेकिन महात्मा गाँधी इस जश्न में शामिल नहीं थे l
- महात्मा गाँधी जी कलकत्ता में 24 घंटे के उपवास पर थे l वे देश के बंटवारे से बहुत दुखी थे l इसलिए वहाँ भी उन्होंने किसी कार्यक्रम में हिस्सा नहीं लिया l
- सितम्बर और नवम्बर के दौरान गाँधी जी पीड़ितों को सांत्वना देते हुए अस्पताल और शरणार्थी शिविरों के चक्कर लगा रहे थे l
- वे हिन्दू मुस्लिमो और सिक्खों को अतीत को भुलाकर आपस में मिलकर भाई चारे के साथ रहने की सलाह दे रहे थे l
- गाँधी जी ने अल्पसंख्यकों के अधिकारों पर एक प्रस्ताव कांग्रेस के द्वारा पारित करवाया l
- बंगाल में शांति स्थापना के प्रयासों के बाद गाँधी जी दिल्ली आ गए l यहाँ से वह दंगा पीड़ित पंजाब जाना चाहते थे लेकिन शरणार्थियों के विरोध के कारण वे नहीं जा सके l
- गाँधी जी पर यह आरोप भी लगता था की वह मुसलमानों के खुशामदी है l वे कहते थे की पाकिस्तान में फंसे हिन्दुओ के प्रति वह अपनी संवेदना क्यों नहीं दिखाते है l
- आखिरकार एक धर्मांध व्यक्ति जिसका नाम नात्थू राम गोडसे था ने 30 जनवरी 1948 को गाँधी जी को शाम को उनकी प्रार्थना सभा में गोली मार दी l
- भारत सहित पूरे विश्व ने गाँधी जी को भावभीनी श्रधांजलि दी l