आजकल भारतीय क्षेत्रीय संगीत में फैलती अश्लीलता जोरो पर है.l विविधताओं का देश है जहां पर कुछ किलोमीटर की दुरी के बाद संस्कृति वेशभूषा पहनावा तथा बोली बदल जाती है। यही भारत की विशेषता भी है जो भारत को सबसे अद्भुत और शानदार बनाती है। पूरे भारतवर्ष में ऐसी अनेक बोलियाँ तथा संगीत के प्रकार हैं जिनके बारे में हमें पुर्णतः जानकारी भी नहीं है। लेकिन वह फिर भी प्रत्येक छोटे-छोटे कस्बे तथा गांव की पहचान है। हमारी भारतीय संस्कृति विश्व भर में प्रसिद्ध है, या फिर यूं कहें कि भारतीय अपनी संस्कृति से ही विश्व भर में जाने जाते हैं।
लेकिन आए दिन देखा गया है भारतीय क्षेत्रीय संगीत में अश्लीलता बहुत तेजी से फैलती जा रही है यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। ऐसा होने के कई मुख्य कारण हो सकते हैं जिनमें से प्रमुख है टेक्नोलॉजी का बहुत तेजी से विस्तार होना जिसके कारण लोगों के मन में विख्यात होने की उत्सुकता है, तथा इसके चलते वे किसी भी प्रकार का कार्य करने के लिए तैयार बैठे हुए हैं। टेक्नोलॉजी की इस दौड़ में हम सही और गलत का फैसला करना कई बार भूल जाते हैं, जिसके कारण हम अपनी संस्कृति को दाव पर लगा बैठते हैं।
क्षेत्रीय संगीत में फैलती अश्लीलता
संगीत भारत की एक ऐसी धरोहर है जो काफी पुराने समय से हमारी पहचान रही है। संगीत एकमात्र ऐसा जरिया है जिसकी सहायता से हम किसी के साथ भी घुल मिल सकते हैं तथा उसके मन में अपने प्रति जुड़ाव महसूस करवा सकते हैं। लेकिन दुर्भाग्यवश आजकल क्षेत्रीय संगीत में अश्लीलता बहुत ज्यादा हो गई है जो कि हमारी संस्कृति के लिए बिल्कुल भी उचित नहीं है। कुछ संगीत कलाकार पाश्चात्य देशों का अनुकरण करके भारतीय संस्कृति में उसी तरह का बर्ताव करने की कोशिश कर रहे हैं जो कि हमारी संस्कृति के लिए घातक साबित हो रहा है।
प्रत्येक क्षेत्र के अपनी संगीत तथा बोली होती है, लेकिन आए दिन देखा गया है कुछ क्षेत्रों की क्षेत्रीय संगीत के बारे में चर्चा विश्वव्यापी स्तर पर होने लगी है जोकि बहुत चिंतनीय है। चिंतनीय होने का मुख्य कारण है कि इसकी चर्चा किसी अच्छे कामों से नहीं हो रही है बल्कि अश्लीलता के कारण हो रही है। भारतीय अपनी सभ्यता और संस्कृति के लिए जाने जाते हैं ऐसे कृत्य को करना हमें बिल्कुल भी शोभा नहीं देता। हालांकि चुनिंदा कलाकार हैं जो इस कार्यों को प्रोत्साहन दे रहे हैं लेकिन हमें इन कलाकारों को बिल्कुल भी बढ़ावा नहीं देना चाहिए.
भोजपुरी सिनेमा में बढ़ रही अश्लीलता का मुख्य कारण
भोजपुरी सिनेमा एक ऐसा क्षेत्र है जो लगभग आधे से ज्यादा भारतीयों द्वारा पसंद किया जाता है। लेकिन विषय गंभीर तब हो जाता है जब पवन सिंह तथा खेसारी लाल यादव जैसे व्यक्ति क्षेत्रीय संगीत की गरिमा को भूल कर उसमें पाश्चात्य जगत की तरह अश्लीलता डाल रहे हैं। कलाकार के तौर पर हम उनकी सराहना करते हैं लेकिन कृत्य के तौर पर हम उनका कटाक्ष करना चाहेंगे। भारतीय संस्कृति में नृत्य भी एक अपनी पहचान रखता है, लेकिन अक्षरा सिंह के द्वारा किया जाने वाला नृत्य भी हमारी संस्कृति के बिल्कुल विरुद्ध है।
हम क्योंकि अपनी संस्कृति की बात कर रहे हैं तो मैं आपको एक श्लोक के माध्यम से समझाना चाहूंगा: “विनाश काले विपरीत बुद्धि”। इसका अर्थ होता है जब किसी व्यक्ति का अंत समय आता है तो उसकी बुद्धि नष्ट हो जाती है. इन कलाकारों का पूरे भारत ने पिछले कुछ दिनों में बहिष्कार किया है तथा इनके द्वारा संगीत में दर्शाई जाने वाली अश्लीलता को भी नकारा है। हमें इस बात को नहीं भूलना चाहिए कि जितना बड़ा हमारा नाम होता है हमारे कंधों पर उतनी ही ज्यादा जिम्मेदारियां भी बढ़ जाती है। लेकिन इन कुछ भोजपुरी कलाकारों द्वारा जो अश्लीलता फैलाई जा रही है वह क्षेत्रीय संगीत के अस्तित्व के ऊपर एक तलवार की भांति लटकी हुई है।
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क्षेत्रीय संगीत में अश्लीलता पर लगाम कैसे लगाया जाए
हमारी संस्कृति हमारी धरोहर है, इस बात का चिंतन करते हुए हमें उसकी तरफ गंभीरता से सोचना चाहिए तथा अपनी संस्कृति के लिए तन मन न्योछावर कर के इसकी रक्षा करनी चाहिए। यही हमारा परम धर्म तथा कर्तव्य है। इस पर लगाम लगाने के लिए हमें ऐसे कलाकारों का पूरी तरह से बहिष्कार करना चाहिए जो अपनी गरिमा को भूल कर कुछ भी कर रहे हैं तथा यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हम ऐसे अश्लीलता भरे किसी भी विषय का समर्थन ना करें।
डिजिटल मीडिया पर बहुत तेजी के साथ ख्याति मिल जाती है लेकिन कुख्यात होने में भी समय नहीं लगता। ख्याति पाना बड़ी बात नहीं होती बल्कि ख्याति को बनाए रखना बड़ी बात होती है। हमने कुछ भोजपुरी सिनेमा कलाकारों के साथ ऐसा होते हुए देखा है। इस पर लगाम लगाने के लिए हम सभी को सचेत होकर केवल उन्हीं लोगों को प्रोत्साहन देना होगा जो हमारी संस्कृति के क्षेत्र में निष्ठा के साथ काम कर रहे हैं तथा जो प्रोत्साहन के काबिल है।
अश्लीलता को रोकने तथा संस्कृति को बचाने हेतु हमारा कर्तव्य
भारत मां के सपूत होने के नाते हमें इस बात को बहुत गंभीरता से लेना चाहिए कि हमारी संस्कृति के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। यह बिल्कुल ही असहनीय तथा चिंता का विषय है जिसके बारे में हमें बहुत गंभीरता के साथ कठोर कदम लेने की आवश्यकता है। यह हमारा परम कर्तव्य है तथा हमारा दायित्व बनता है कि हम लोगों को भी इसके बारे में जागरूक करें।
हम पाश्चात्य देशों का अनुकरण करके उनकी संस्कृति को दोहराने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन जबकि हमें अपनी संस्कृति पर इतना गर्व होना चाहिए कि हम बाहर के देशों में उसकी जागरूकता फैला सकें। ‘एक मछली पूरे तालाब को गंदा करती है’ इसी की तर्ज पर कुछ ऐसे कलाकार हैं जिनके कारण बहुत सारे मेहनती कलाकारों का नाम दब जाता है तथा उन्हें भी इनके कारण बहुत कुछ सहना पड़ता है। ऐसे में हमारा दायित्व बनता है जो कलाकार सही तरीके से हमारी संस्कृति को बढ़ावा देने के क्षेत्र में कार्य कर रहा है उसका उत्साह बढ़ाया जाए तथा उसका नाम आगे लाया जाए।
हमें कलाकारों की बिल्कुल भी आवश्यकता नहीं जो हमारे संगीत क्षेत्र में अश्लीलता फैलाए बल्कि हमें ऐसे कलाकारों की आवश्यकता है जो हमारी संस्कृति को बनाकर रखें तथा उसी के साथ संगीत के माध्यम से हमारा मनोरंजन भी करें. आज भोजपुरी सिनेमा में हो रहा है यदि ऐसा ही रहा तो यह पूरी भारतीय संस्कृति को नष्ट कर देगा.
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