कक्षा 12 इतिहास
औपनिवेशिक शहर नोट्स
मद्रास शहर
1. सन 1639 को ईस्ट इंडिया कंपनी ने विजयनगर के राजा पेडा वेंकट राय से एक गाँव ख़रीदा था और एक साल बाद ही सेंट जार्ज किला बनवाया l
2. यह गाँव कोरोमंडल तट के पास चंद्रगिरी में मद्रासपटनम ख़रीदा गया था जो बाद में औपनिवेशिक गतिविधियों का केंद्र बन गया l
3. बाद में इसी क्षेत्र का नाम मद्रास प्रेसिडेंसी पड़ा l मद्रास प्रेसिडेंसी में आज के आंध्र प्रदेश के तटीय क्षेत्र केरल का मालाबार क्षेत्र कर्नाटक का बेलारी और दक्षिण कन्नड क्षेत्र आते थे l
4. सेंट जार्ज किले को वाइट और ब्लैक टाउन की तर्ज पर बनाया गया जिसमे केवल यूरोपीय लोग रहते थे l ब्रिटिश के साथ साथ डच और पुर्तगालियों को भी किले में रहने की छुट थी l
5. ब्लैक टाउन किले के बाहर बसाया गया जिसमे काले लोग रहते थे l इनमे बुनकर, कारीगर बिचौलिए और दुभाषिये लोग रहते थे l
6. प्रेसिडेंसी में यूरोपीय इसाई होने के कारण डच और पुर्तगाली नागरिको को रहने की छुट थी l
7. संख्या में कम होने के बावजूद गोर लोगो की सुविधाओं के हिसाब से शहर का विकास किया जाता था l
8. पुराने ब्लैक टाउन जो की किले के बहार ही बसा हुआ था ढाह दिया गया और नए ब्लैक टाउन को किले से दूर बसाया गया जिसे परंपरागत भारतीय शहरों की तरह ही बनाया गया था l
9. नए ब्लैक टाउन में सभी जाति और वर्गों के लिए अलग अलग बस्तियां बनाई गयी थी l
10. मद्रास स्टेट बहुत सारे गावों को मिलकर बनाया गया था जिनमे माइलापुर और ट्रिप्लिकेन आरकोट, सान थोम और वहां का गिरिजाघर रोमन कैथोलिक चर्च सब अब मद्रास के हिस्से हो गये थे l
11. धीरे धीरे लोग किले से छावनी तक जाने वाली सड़क के दोनों ओर बसने लगे यूरोपीय लोगो की तरह ही संपन्न भारतीय लोग भी जो अंग्रेजो की तरह ही रहने लगे थे ने अपने घर इस स्थानों पर बनवाये l
12. कामगार मजदूर कारखाने के पास वाले गाँव में बस गए जो बाद में अर्धशहरी इलाको में बदल गया इस पारकर मद्रास एक बड़ा नगर बन गया था l
कलकत्ता शहर
1. कलकत्ता शहर तीन गाँवों सुतानाती, कोलकाता और गोविदपुर नामक तीन गाँव से मिलकर बना था l
2. सन 1757 में प्लासी के युद्ध में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला को हरा कर बंगाल की दीवानी हासिल कर ली l
3. सिराजुद्दौला स्वतन्त्र रूप से कार्य करते हुए कंपनी को किसी भी प्रकार के करो में छूट नहीं दे रहा था और अपने प्रभुत्व का इस्तेमाल करते हुए बंगाल के नवाब ने कंपनी के किले पर अपना कब्ज़ा कर लिया था l
4. युद्ध जितने के बाद ईस्ट इंडिया कंपनी ने गोविन्दपुर में एक नए किले विलयम फोर्ट का निर्माण करवाया l इस किले के चारो और बहुत सी खली जगह छोड़ी गयी ताकि आराम से दुश्मनों पर गोलीबारी की जा सके l नगर नियोजन का यह एक नायब तरीका था l
5. किले के पास खाली जगह को स्थानीय लोग गारेर मठ कहते थे l
6. 1798 में बंगाल के गवर्नर जनरल लार्ड वेलेजली ने गवर्नमेंट हाउस के नाम से एक महल का निर्माण करवाया l यह ईमारत अंग्रेजो के सत्ता की प्रतीक थी l
7. शहर को स्वास्थ्यपरक बनाने के लिए लार्ड वेलेजली ने शहर में खली जगह छोड़ने के लिए बाज़ारों, घाटों, कब्रिस्तानो और चर्मशोधन इकाइयों को या तो साफ़ करवा दिया या वहाँ से हटा दिया गया l
8. लार्ड वेलेजली के बाद लोटरी कमेटी जिसका गठन 1817 में किया गया था ने शहर नियोजन का कार्यभाल सम्भाल लिया l
9. 1817 में हैजा और 1896 में प्लेग फ़ैलने के कारण शहर में कामकाजी लोगो की झोपड़ियों और बस्तियों को शहर के अन्दर से हटाकर शहर के बहार बसाया जाने लगा l
10. मजदूरों, फेरीवाले, कारीगर और बेरोजगार और गरीबों को शहर से दूर धकेल दिया गया l
11. आग की घटनाओं की चलते 1836 में शहर में फूँस की झोपड़ियों को अवैध घोषित कर दिया गया l
12. अंग्रेजो की दृष्टी में शहर का तर्कसंगत, क्रम व्यवस्था, सटीक क्रियान्वयन, पश्चिमी सौन्दर्यात्मक आदर्श शहरों को साफ़ सुथरा व्यवस्थित और सुन्दर अनिवार्य था l
बम्बई शहर
1. शुरुआत में बम्बई सात टापुओं का इलाका था l बाद में इन टापुओं को आपस में जोड़ दिया गया l इस प्रकार बम्बई शहर अस्तित्व में आया l
2. बम्बई पश्चिमी तट पर बहुत महत्वपूर्ण वाणिज्यिक बंदरगाह था l यह अंतर्राष्ट्रीय व्यापर होता था इसलिए बम्बई औपनिवेशिक शहर की आर्थिक और वाणिज्यिक राजधानी बन गयी l
3. इस बंदरगाह से मुख्य रूप से अफीम का निर्यात होता था l ईस्ट इंडिया कंपनी यहाँ से चीन को अफीम निर्यात करता था l
4. ईस्ट इंडिया कंपनी के साथ गठजोड़ करके बहुत से भारतीय व्यापारी बड़े पूंजीपति बन गए l इनमे पारसी, मारवाड़ी, कोंकणी, मुस्लमान, गुजरती, बोहरा, यहूदी, आर्मेनियाई और विभिन्न समुदाय के लोग थे l
5. 1869 में बम्बई सरकार और भारतीयों ने “मुंबई को भारत का सरताज” घोषित किया क्योंकि 1869 में स्वेज नहर के अंतर्राष्ट्रीय व्यापर के लिए खुलने से मुंबई एशिया में व्यापर का केंद्र बनकर उभरा l
6. जैसे जैसे बम्बई शहर की अर्थव्यवस्था फैली वैसे वैसे नई इमारतों का निर्माण शुरू हो गया l बम्बई में नयी इमारतें यूरोपीय शैली में बनाई जा रही थी जो औपनिवेशिक सत्ता और शक्ति का प्रतीक थी l
7. अंग्रेजो ने भारतीय भवन निर्माण शैली को अपने तरीके से इस्तेमाल किया उन्होंने बंगलो को बनाने के लिए भारतीय फूँस की झोपड़ी की नक़ल की और बंगलो की छत ढलानयुक्त बनाई जिससे ठंडक बनी रहे इसके साथ बंगले के बरामदे में
8. चारो और पिलर का निर्माण करवाया गया l 1833 में बम्बई में टाउन हॉल का निर्माण कराया गया जो रोम स्थापत्य की शैली पर बना था और भूमध्यसागरीय जलवायु के अनुकूल था l
9. सूती कपड़ा उद्योग के लिए बनाई गयी बहुत सारी इमारतों के समूह को एल्फिन्स्टन सर्कल कहा जाता था l
10. इसके साथ साथ इमारतों में गाथिक शैली का उपयोग किया जा रहा था l ऊँची उठी हुई छतें, नोकदार मेहराबें और बारीक़ साज सज्जा इस शैली की खासियत होती थी l
11. सचिवालय, बम्बई विश्वविद्यालय और उच्च व्यायालय जैसी कई इमारते इसी शैली में बनायी गयी थी l
12. गाथिक शैली में कुछ परिवर्तन कर इसे इस्तेमाल किया जाने लगा जिसे नव गाथिक शैली कहा जाता था l मुंबई का विक्टोरिया टर्मिनस नव गाथिक शैली का बहुत ही जानदार नमूना है l
13. इसके साथ ही 20वीं सदी में एक और स्थापत्य कला शैली का विकास हुआ जिसे इंडो-सारासेन शैली कहा जाता है जो हिन्दू और यूरोपीय शैली का मिश्रण थी l
14. इंडो-सारासेन शैली को गुम्बदो, छतरियों, जालियों, मेहराबो में देखा जा सकता है l इसका सबसे अच्छा उदहारण जमशेदजी टाटा के द्वारा बनवाया गया ताजमहल होटल है l