संविधान में संशोधन कैसे किया जाता है? l संविधान एक जीवंत दस्तावेज के इस अध्याय में हम जानेंगे की कैसे भारतीय संविधान कठोर है l कठोर होने के साथ साथ यह लचीला भी है l
कक्षा 11 राजनीति विज्ञान नोट्स (Latest)
संविधान समाज का आईना होता है l समाज की इच्छाओं और आकांक्षाओं को संविधान में दर्ज किया जाता है l भारतीय संविधान एक कठोर संविधान होने के साथ-साथ लचीला भी है l यह एक लिखित दस्तावेज है l जिसे समाज के प्रतिनिधि तैयार करते हैं l भारतीय संविधान 2 वर्ष 11 महीने 18 दिन में बनकर तैयार हुआ l 26 नवंबर 1949 को संविधान को अंगीकृत किया गया l 26 जनवरी 1950 को इसे लागू किया गया l
भारतीय संविधान क्यों जीवंत दस्तावेज है?
- यह परिवर्तनशील है l
- यह स्थाई या गतिहीन नहीं है l
- समय की आवश्यकता के अनुसार इसके प्रावधानों को संशोधित किया जाता है l
- संशोधनों के पीछे राजनीतिक सोच प्रमुख नहीं बल्कि समय की जरूरत प्रमुख है l
भारतीय संविधान में संशोधन करने की प्रक्रिया
- संविधान में संशोधन की प्रक्रिया केवल संसद ही प्रारंभ कर सकती है l
- भारतीय संविधान में संशोधन की पूरी प्रक्रिया को संविधान के अनुच्छेद 368 में समझाया गया है l
- संशोधन करने का तात्पर्य यह नहीं है कि संविधान की मूल संरचना के ढांचे में परिवर्तन किया जा सके l
- संशोधनों के मामले में भारतीय संविधान लचीला और कठोर दोनों का मिश्रण है l
- 1950 से लेकर अब तक कुल 104 संविधान संशोधन हो चुके हैं l
- 104वाँ संविधान संशोधन अनुसूचित जाति और जनजाति को आरक्षण की अवधि को बढ़ा कर 2030 तक कर दिया गया है l
- अनुसूचित जाति और जनजाति और एंग्लो इंडियन के आरक्षण का प्रावधान अनुच्छेद 334 में किया गया है l
- इसके लिए 126 संविधान संशोधन विधेयक पारित हुए हैं l
- 124 वां संविधान संशोधन विधेयक सामान्य वर्ग को 10% आरक्षण देने का प्रावधान करता है l
- इस बिल में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों को 10% आरक्षण दिया गया है l
- संशोधन विधेयक के मामले में राष्ट्रपति को पुनर्विचार के लिए भेजने का अधिकार नहीं है l
संविधान में संशोधन कैसे किया जाता है?
संविधान में संशोधन करने के लिए कई प्रकार के तरीके अपनाए जाते हैं l भारतीय संविधान में संशोधन के तीन तरीकों का वर्णन किया गया है l
- पहला संसद में सामान्य बहुमत के आधार पर अनुच्छेदों में निर्दिष्ट प्रक्रिया के अनुसार संशोधन किया जा सकता है l
- दूसरा संसद के दोनों सदनों में अलग-अलग विशेष बहुमत के आधार पर संविधान में संशोधन का प्रस्ताव लाया जाता है l यह प्रक्रिया अनुच्छेद 368 के अनुसार होती है l
- तीसरा विशेष बहुमत और कुल राज्यों के आधी विधायकों के सहमति के साथ अनुच्छेद 368 की प्रक्रिया का पालन करते हुए किया जाता है l इन तीनों ही प्रक्रिया में अलग-अलग विषय आते हैं l संविधान में संशोधन कैसे किया जाता है? आइये नीचे दिए गए फ्जोलो चार्ट से समझते है:
भारतीय संविधान संशोधनों के प्रकार
संविधान में किए गए कुछ ऐसे संशोधन होते हैं जो प्रशासनिक दृष्टिकोण से किए जाते हैं l यह संशोधन बहुत ही मामूली या कम महत्व के होते हैं परन्तु प्रशासन को सुचारू रूप से चलाने के लिए आवश्यक होते हैं l इन्हें प्रशासनिक संशोधन कहा जाता है l वही बात करें दूसरे प्रकार के संशोधन की संविधान की व्याख्या से संबंधित संशोधन होते हैं l तीसरे राजनीतिक आम सहमति से उत्पन्न संशोधन होते है l भारतीय संविधान में यह तीन प्रकार के संशोधन हुए है l
भारतीय संविधान में संशोधन कैसे किया जाता है? दुनिया के लिए ये प्रश्न काफी महत्वपूर्ण है ? फ्रांस जैसे लोकतान्त्रिक देश में 200 वर्षो में संविधान को 5 बार दोबारा से बनाया गया है l फ़्रांस में अंतिम संविधान 1958 में अस्तित्व में आया l निश्चित रूप से भारतीय संविधान एक जीवंत दस्तावेज है l
भारतीय संविधान में इतने संशोधन कैसे और क्यों हुए?
- भारतीय संविधान का निर्माण वित्तीय विश्वयुद्ध के बाद हुआ था l
- उस समय की परिस्थितियों के अनुसार संविधान सुचारू रूप से काम कर रहा था l
- भविष्य में स्थितियों में बदलाव के लिए संविधान को सजीव बनाए रखने के लिए इसमें संशोधन का प्रावधान भी किया गया था l
- हमारे संविधान निर्माता ने भविष्य की राह को आसान बनाने के लिए इसमें संशोधन के प्रावधान किए l
- किसी भी लोकतंत्र को सुचारू रूप से चलाने के लिए यह आवश्यक है कि समय के साथ उसमें कुछ संशोधन किए जाए l
- समय के साथ समाज के विभिन्न पहलुओं में बदलाव आता है l
- इसके साथ ही नई-नई आवश्यकताओं का जन्म होता है l
- यही कारण है कि आवश्यकताओं के अनुसार संविधान में इतने सारे संशोधन किए गए l
- 1950 से लेकर दिसंबर 2019 तक संविधान में कुल 104 संशोधन किए जा चुके हैं l
भारतीय संविधान में विवादास्पद संशोधन
- भारतीय संविधान में 38वाँ 39वाँ और 42वाँ संविधान संशोधन विवादास्पद माना जाता है l
- यह तीनों संशोधन आपातकाल के दौरान किए गए थे l
- इन संशोधनों के दौरान विपक्षी पार्टियों के सांसद जेल में थे l
- जिसके कारण सरकार को असीमित अधिकार मिल गए थे l
- इन तीनों संशोधनों में व्यापक स्तर पर संविधान के मूल ढांचे में परिवर्तन करने की कोशिश की गई थी l ऐसे कई संशोधन जोड़े गए जिससे विवाद उत्पन्न हुआ l 43वाँ और 44 वाँ संविधान संशोधन के द्वारा 38वें 39वें और 42वें संविधान संशोधन के कई विवादास्पद संशोधनों को हटाया गया l
भारतीय संविधान एक जीवंत दस्तावेज होने के कुछ कारण
संविधान एक गतिशील दस्तावेज है l भारतीय संविधान का अस्तित्व 70 वर्षों से है l इस बीच यह संविधान अनेक तनाव से गुजरा है l भारत में इतने परिवर्तन होने के बावजूद भी संविधान अपनी गतिशीलता और बदलती हुई परिस्थितियों के अनुसार सामंजस्य के साथ सफलतापूर्वक कार्य कर रहा है l परिस्थितियों के अनुकूल परिवर्तनशील रहकर नई चुनौतियों का सफलतापूर्वक मुकाबला कर रहा है l यही उसकी जीवंतता का प्रमाण है l समय के अनुसार विभिन्न परिस्थितियों में परिस्थितियां बदलने के कारण संविधान में संशोधन किए जाते हैं l यह सिर्फ एक जीवंत दस्तावेज से ही मुमकिन है l
भारतीय संविधान के मूल ढांचे में परिवर्तन नहीं किया जा सकता: संविधान में संशोधन कैसे किया जाता है? महत्वपूर्ण तथ्य
सर्वोच्च न्यायालय ने सन 1973 में केशवनंद भारती बनाम केरल सरकार के मामले में निर्णय दिया l इस निर्णय ने संविधान के विकास में सहयोग दिया जो निम्नलिखित है:
- संविधान में संशोधन करने की शक्तियों की सीमा निर्धारित हुई l
- यह संविधान की विभिन्न भागों के संशोधन की अनुमति देता है पर सीमाओं के अंदर l
- संविधान की मूल संरचना का उल्लंघन करने वाले किसी संशोधन के बारे में सर्वोच्च न्यायलय का फैसला अंतिम होगा l
- विधायिका संविधान के मूल संरचना को नहीं बदल सकती है l
- संविधान के मूल ढांचे को बदलने का अधिकार केवल संविधान सभा को था l
- मूल ढांचे में परिवर्तन करने का तात्पर्य है नया संविधान लिखना l
- नया संविधान विधायिका नहीं लिख सकती है l
- नया संविधान लिखने का अधिकार संविधान सभा को है l