2 अंक
प्रश्न 1. भारतीय संविधान दुनिया का सबसे लम्बा संविधान बनने के कोई दो कारण लिखिए।
उत्तर- भारतीय संविधान दनिया का सबसे लम्बा संविधान बनने के कारण-
1. हमारे देश की विशालता और विविधता के कारण। कारनामा
2. संविधान निर्माण में विस्तृत, गहन विचार-विमर्श के कारण।
प्रश्न 2. नव राष्ट्र के सामने देशी रियासतों को लेकर क्या समस्या थी
उत्तर- देशी रियासतों को लेकर समस्या-स्नान
1. ब्रिटिश राज के दौरान उपमहाद्वीप का लगभग एक-तिहाई भू-भाग ऐसे नवाबों और।
मणमा रजवाड़ों के नियन्त्रण में था जो ब्रिटिश ताज की अधीनता स्वीकार कर चुके थे।
2. वे बहत सारे टुकड़ों में बंटे भारत में स्वतन्त्र सत्ता का सपना देख रहे थे।
प्रश्न 3. जवाहर लाल नेहरू ने संविधान सभा के सामने उददेश्य प्रस्ताव कब पेश किया ? इसकी क्या विशेषता थी?
उत्तर- 1. जवाहर लाल नेहरू ने 13 दिसम्बर, 1946 को संविधान सभा के सामने “उद्देश्य प्रस्ताव पेश किया।
2. यह एक ऐतिहासिक प्रस्ताव था जिसमें स्वतन्त्र भारत के संविधान के मूल आदर्शों की रूप रेखा प्रस्तुत की गई थी और वह फ्रेम वर्क सुझाया था जिसके तहत संविधान का कार्य आगे बढ़ना था।
प्रश्न 4. सरदार पटेल पृथक निर्वाचिका के विरुद्ध क्यों थे
उत्तर- सरदार पटेल के अनुसार पृथक निर्वाचिका एक ऐसा विष है जो हमारे देश की परी राजनीति में समा चुका है तथा उनकी राय में यह एक ऐसी मांग थी जिसने एक समदाय को दसरे समुदाय से भिड़ा दिया, राष्ट्र के टुकड़े कर दिए, रक्तपात को जन्म दिया और देश के विभाजन का कारण बनी। इसलिए वे पृथक निर्वाचिका के विरुद्ध थे।
प्रश्न 5. संविधान में दमित जातियों के लिए क्या सुझाव दिए
उत्तर- संविधान में दमित जातियों के लिए सुझाव-
1. अस्पृश्यता का उन्मूलन किया जाएगा।
2. हिन्दू मन्दिरों को सभी जातियों के लिए खोल दिया जाए।
3. निचली जातियों को विधायिकाओं और सरकारी नौकरियों में आरक्षण दिया जाए।
5 अंकों वाले प्रश्नोत्तर
प्रश्न 6. संविधान सभा में की जाने वाली चर्चाओं को जनमत व विभिन्न संगठन किस प्रकार
प्रभावित करते थे उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- संविधान सभा में हुई चर्चाएँ जनमत से भी प्रभावित होती थीं।
– जब संविधान सभा में बहस होती थी तो विभिन्न पक्षों की दलीलें अखबारों में भी छपती थीं और तमाम प्रस्तावों पर सार्वजनिक रूप से बहस चलती थी।
– प्रेस में होने वाली इस आलोचना और जवाबी आलोचना से किसी मुद्दे पर बनने वाली सहमति या असहमति पर गहरा असर पड़ता था।।
– सामूहिक सहभागिता का भाव पैदा करने के लिए जनता के सुझाव भी आमन्त्रित किए जाते थे।
– इस प्रसंग में सभा को सैकड़ों सुझाव मिले जिनके कुछ नमूनों को देखने पर ही पता चल जाता है कि हमारे विधि निर्माताओं को कितने परस्पर विरोधी हितों पर विचार करना था।
– ऑल इण्डिया वर्णाश्रम स्वराज्य संघ (कलकत्ता) ने आग्रह किया कि हमारा संविधान प्राचीन हिन्दू कृतियों में उल्लिखित सिद्धान्तों पर ओधारित होना चाहिए। गौ हत्या पर पाबन्दी और बूचड़खानों को बन्द करने की विशेष रूप से मांग की गई थी।
– कथित निचली जातियों के समूहों ने मांग की कि “सवर्णों द्वारा दुर्व्यवहार पर रोक लगाई जाए और विधायिका, सरकारी महकमों और स्थानीय निकायों आदि में जनसंख्या के आधार पर सीटों के आरक्षण की व्यवस्था की जाए। ।
– भाषायी अल्पसंख्यक चाहते थे कि “मातृभाषा में अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता मिले तथा भाषीय आधार पर प्रान्तों का पुनर्गठन किया जाए।
– धार्मिक अल्पसंख्यकों ने विशेष सुरक्षाओं का आग्रह किया।
प्रश्न 7. संविधान सभा में कुल कितने सदस्य थे कांग्रेस नेतृत्व किनके द्वारा किया जा रहा था तथा इनकी क्या भूमिका थी
उत्तर- संविधान सभा में कुल तीन सौ सदस्य थे। इनमें से छह सदस्यों की भूमिका काफी महत्त्वपूर्ण थी।
– इन छह सदस्यों में से तीन-जवाहर लाल नेहरू, वल्लभ भाई पटेल और राजेन्द्र प्रसाद-
कांग्रेस के सदस्य थे।
– “ऐतिहासिक उद्देश्य प्रस्ताव नेहरू ने पेश किया था। यह प्रस्ताव भी उन्होंने ही पेश किया
था कि भारत का राष्ट्रीय ध्वज “केसरिया सफेद और गहरे हरे रंग की तीन बार चौड़ाई
वाली पट्टियों का “तिरंगा झण्डा होगा जिसके बीच में नीले रंग का चक्र होगा।
– पटेल मुख्य रूप से परदे के पीछे कई महत्त्वपूर्ण कार्य कर रहे थे। उन्होंने कई रिपोर्टों के प्रारूप
लिखे, कई परस्पर विरोधी विचारों के बीच सहमति पैदा करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा की ।
– राजेन्द्र प्रसाद संविधान सभा के अध्यक्ष थे। उन्होंने न केवल चर्चा को रचनात्मक दिशा
ले जाना था बल्कि इस बात का ख्याल भी रखना था कि सभी सदस्यों को अपनी बात
कहने का मौका मिले।
प्रश्न 8. “संविधान सभा अंग्रेजों की योजना को साकार करने का काम कर रही थी।
सोमनाथ लाहिड़ी के इस कथन की व्याख्या कीजिए।
उत्तर- सोमनाथ लाहिड़ी कम्युनिस्ट सदस्य थे। उनकी कथन निम्न बातों के आधार पर था-
– आन्तरिक सरकार लंदन में स्थिति ब्रिटिश सरकार के प्रभाव में काम कर रही थी।
1946-47 के जाड़ों में जब संविधान सभा में चर्चा चल रही थी तो अंग्रेज अभी भी भारत
में थे।
– संविधान सभा अंग्रेजों की बनाई हई है और वह अंग्रेजों की योजना को साकार करने का।
काम कर रही है।
– मामूली-से-मामूली मतभेद के लिए संघीय न्यायालय तक दौड़ना होगा या वहाँ इंग्लैंड में।
जाकर नाचना पड़ेगा।
– मूल रूप से सत्ता अभी भी अंग्रेजों के हाथ में है और सत्ता का प्रश्न बुनियादी तौर पर अभी
भी तय नहीं हुआ है जिसका अर्थ निकला है कि हमारा भविष्य अभी भी पूरी तरह हमारे।
हाथों में नहीं है।
प्रश्न 9. संविधान सभा में पृथक निर्वाचिका के पक्ष में दिए गए बयानों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर- 27 अगस्त, 1947 में मद्रास के बी. पोकर बहादुर ने संविधान सभा में पृथक निर्वाचिका के
पक्ष में जोरदार भाषण दिया। उन्होंने कहा-
1. अल्पसंख्यक हर जगह होते हैं, उन्हें हम चाह कर भी नहीं हटा सकते।
2. एक ऐसे राजनीतिक ढाँचे की आवश्यकता है जिसके भीतर अल्पसंख्यक भी औरों के साथ
सद्भाव के साथ जी सकें और समुदायों के बीच मतभेद कम-से-कम हो।
3. राजनीतिक व्यवस्था में अल्पसंख्यकों का प्रतिनिधित्व हो, उनकी आवाज सनी जाए और
उनके विचारों पर ध्यान दिया जाए।
4. देश के शासन में मुसलमानों की एक सार्थक हिस्सेदारी सुनिश्चित करने के लिए पृथक
निर्वाचिका के अलावा और कोई रास्ता नहीं हो सकता।।
5. मुसलमानों की जरूरतों को गैर मुसलमान अच्छी तरह नहीं समझ सकते। न ही अन्य
समुदायों के लोग मुसलमानों का कोई सही प्रतिनिधि चुन सकते है।
प्रश्न 10. एन. जी. रंगा द्वारा अल्पसंख्यक शब्द की व्याख्या किस प्रकार की गई उन्होंने देश में।
व्याप्त किस विशाल खाई की ओर संकेत किया
उत्तर- एन. जी. रंगा किसान आन्दोलन के नेता और समाजवादी विचारों वाले व्यक्ति थे। उन्होंने ।
अल्पसंख्यक शब्द की व्याख्या आर्थिक स्तर पर की। उनकी नज़र में असली अल्पसंख्यक ।
गरीब और दबे-कुचले लोग थे।
– प्रत्येक व्यक्ति को कानूनी अधिकारों के साथ उन्होंने इसकी सीमाओं को भी चिन्हित किया।
– संविधान सम्मत आविष्कारों को लागू करने का प्रभावी इन्तजाम हो जिससे गरीबों के पास
जीन का, पूर्ण रोजगार का अधिकार, सभा तथा सम्मेलन करने का अधिकार तथा उनके
पास अन्य नागरिक स्वतन्त्रताएँ हो।
– ऐसी परिस्थितियाँ बनाई जाएँ जहाँ संविधान द्वारा दिए गए अधिकारों को जनता प्रभावी ।
ढंग से प्रयोग कर सके।
– अल्पसंख्यकों को सहारों की जरूरत है। उन्हें एक सीढी चाहिए।
– उन्होंने आम जनता और संविधान सभा में उनके प्रतिनधित्व का दावा करने वालों के बीच
विशाल खाई की ओर ध्यान आकर्षित करवाया। उनके अनुसार हमे अपने देश की आम
जनता का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं परन्तु इसके बावजूद ज्यादातर लोग उस जनता का
हिस्सा नहीं हैं हम उनके हैं, उनके लिए काम करना चाहते हैं लेकिन जनता खुद संविधान
सभा तक नहीं पहुँच पा रही हैं।
स्रोतो पर आधारित प्रश्न
(8 अंक)
हम सिर्फ नकल करने वाले नहीं है।
13 दिसंबर, 1946 को अपने प्रसिद्ध भाषण में जवाहरलाल नेहरू ने यह कहा था
मेरे जहन में बार-बार वे सारी संविधान सभाएँ आ रही हैं जो पहले यह काम कर चुकी हैं।
मुझे उस महान अमेरिकी राष्ट्र के निर्माण की प्रक्रिया का खयाल आ रहा है जहाँ राष्ट्र-निर्माताओं
ने एक ऐसा संविधान रच दिया जो इतने सारे सालों, डेढ़ सदी से भी ज़्यादा समय तक काल
की कसौटी पर खरा उतरा है। उन्होंने एक महान राष्ट्र गढ़ा जो उसी संविधान पर आधारित
है। इसके साथ ही मेरी नज़र उस महान क्रांति की ओर जाती है जो 150 साल पहले एक अन्य
स्थान पर हुई थी। मुझे उस संविधान सभा का विचार आता है जो स्वतंत्रता के लिए इतने सारे
संघर्ष लड़ने वाले पेरिस के भव्य एवं खूबसूरत शहर में जुटी थी। उस संविधान सभा ने कितनी
मुश्किलों का सामना किया था और किस तरह राजा व तमाम अन्य अधिकारी उसके रास्ते में
रोड़ा बन रहे थे। इतिहास के ये सारे अध्याय बरबस मुझे याद आ रहे हैं। सदन इस बात को
याद रखेगा कि जब इस तरह की मुश्किलें आईं और जब उन संविधान सभाओं के लिए एक
कमरा तक नहीं दिया जा रहा था तो उन्होंने टेनिस के खुले मैदान में सभा की थी और एक
शपथ ली थी जिसे टेनिस कोर्ट की शपथ के नाम से जाना जाता है। उन्होंने राजाओं व अन्य
ताकतों की रुकावटों के बावजूद अपनी बैठकें जारी रखीं और तब तक वहाँ से नहीं हिले जब
तक उन्होंने अपना काम पूरा नहीं कर लिया था। मुझे विश्वास है कि हम भी उसी शद्ध भावना
से यहाँ इकट्ठा हुए हैं और चाहे हमारी बैठक इस कक्ष में हो या कहीं और, चाहे खेतों में हो
या बाज़ार में, हमारी बैठकें तब तक जारी रहेंगी जब तक हम अपना काम परा नहीं कर लेंगे।
1. ये भाषण कब तथा किसके द्वारा दिया गया था
उत्तर- यह भाषाण 13 दिसंबर, 1946 को जवाहरलाल नेहरू द्वारा दिया गया था।
2. यहाँ प्रवक्ता ने किस राष्ट्र के निर्माण के बारे में वर्णन किया है
उत्तर- प्रवक्ता ने अमेरिका के राष्ट्र निर्माण के बारे में वर्णन किया है।