Site icon edupedo

अध्याय: 7 एक साम्राज्य की राजधानी

NCERT SOLUTION CLASS XII HISTORY


अध्याय:7 एक साम्राज्य की राजधानी – विजयनगर



1.पिछली दो शताब्दियों में हम्पी के भवनाशेषों के अध्ययन में कौन-सी पद्धतियों का प्रयोग किया गया है ? आपके अनुसार यह पद्धतियाँ विरूपाक्ष मंदिर के पुरोहितों के जरिए प्रदान की गई जानकारी का किस प्रकार पूरक रही ?

उत्तर: पिछली दो शताब्दियों में हम्पी केभवनाशेषों के अध्ययन में सर्वेक्षण विधि का प्रयोग किया गया l

1.   हम्पी के भवनाशेष 1821 ई. में सर्वप्रथम ईष्ट इंडिया कम्पनी में कार्यरत एक इंजीनियर और पुराविद कर्नल के जरिये प्रकाश में लाये गए थे l उन्होंने सर्वेक्षण के आधार पर हम्पी का मानचित्र तैयार किया l

2.   कलन्तर में 1856 ई. में छाया चित्रकारों ने यहाँ के चित्र इकट्ठे करने शुरू किया जिससे शोधकर्ता अध्यन कर सके l

3.   1836 ई. से अभिलिखाकर्ताओं ने हम्पी और अन्य मंदिरों से अनेक दर्जन अभिलेख संकलित करना शुरू किए l

4.   विजय साम्राज्य के इतिहास के पुननिर्माण के प्रयास से इतिहासकारों ने इस स्रोतों का विदेशी यात्रियों के जरिये कन्नड़, तेलगु और कन्नड़ व संस्कृत में लिखे गए साहित्य का मिलन किया ताकि उनकी सत्यता की जाँच कीजा सके।

2. विजयनगर की जल-अवश्यकताओं को किस प्रकार पूरा किया जाता था ?

उत्तर :

1.   विजयनगर की जल आवश्यकता को तंगभ्र्दा नदी के जरिये निर्मित एक प्राकृतिक कुंड से पूरा किया जाता था l यह नदी उत्तरपूर्व दिशा में बहती है l इस के चाों और की पहाड़ियों से आने वाली जलधाराएँ इस नदी में मिलती है l

2.   लगभग सभी जल धाराओं के साथ बाँध बनाकर अलग-अलग आकारों के हौज बनाए गए थे l चूँकि विजयनगर दक्षिण प्रायद्वीप के सबसे शुष्क क्षेत्रों में से एक था इसलिए पानी को इकट्ठा करके शहर तक ले जाने के लिए व्यापक प्रबंध जरुरी समझा गया l

3.   सबसे महत्त्वपूर्ण जल संबंधी सरंचनाओं में से एक, हिरिया नहर को आज भी भगनावेशों के बीच देखा जा सकता है l इस नहर में तंग्भ्र्दा पर बने बांध से पानी लाया जाता था और इसे ‘धार्मिक केंद्र’ से ‘शहरी केंद्र’ को अलग करने वाली घाटी को सिचित करने में प्रयोग किया जाता था इसका निर्माण संगम वंश के राजाओं के जरिये करवाया गया था l

3. शहर के किलेबंद क्षेत्र में कृषि क्षेत्र को रखने के आपके विचार में क्या फायदे और नुकसान थे ?

उत्तर: विजयनगर शहर के किलेबंद क्षेत्र में कृषि क्षेत्र को चारदीवारी के अंदर रखने से हमारे विचार से अनेक लाभ और हानियाँ थीं l इसका विवरण इस प्रकार है :

1.   कृषि योग्य भूमि में विभिन्न दीवारों के मध्य बीचबीच में जोतने के लिए खेत होते थे l इन खेतों में धान उगाएजाते थे l कृषि योग्य भूमि में अनेक बाग भी थे l धान के खेतों और बांगों की सिचाई के लिए झीलों से पानी लाया जाता था l

2.   इन खेतों के आस पास सामान्यत: साधारण जनता और किसान रहते थे l बागों और खेतों की रखवाली करना आसन था l

3.   युद्धकाल में शत्रुओं के जरिये घेरा बंदी कई महीनों तक जारी रखी जाती थी यहाँ तक की वर्षों तक चल सकती थी l आमतौर पर शासक ऐसी परिस्थितियों से निपटने के लिए किलेबंद क्षेत्रों के भीतर ही विशाल अन्नगरों का निर्माण करवाते थे l

4.   किला बंद खेती योग्य भूमि को चार दीवारों के अंदर रखने से नुकसान यह था की बाहर रहने वाली किसानों को आने जाने में द्वारपालों से इजाजत लेनी होती थी तथा शत्रु के जरिये घेरा बंदी होने पर बाहर से कृषि के लिए आवश्यक जरूरत पड़ने पर बीज आदि बाहर के बाजारों से लेना कठिन था l

4.आपके विचार में महानवमी डिब्बासे संबद्ध अनुष्ठानों का क्या महत्त्व था ?

उत्तर:

1.   हमारे विचार से महानवमी डिब्बा से संबद्ध अनुष्ठानों का व्यापक महत्त्व था l विजयनगर शहर सबसे ऊँचे स्थानों पर महानवमी डिब्बा नामक विशाल मंच होता था l इसके सरंचना से जुड़े ऐसे प्रमाण मिले हैं जिनसे जानकारी मिलती है की इस ऊँचे स्थान पर एक लकड़ी की सरंचना बनी थी l अनुष्ठान सितम्बर तथा अक्टूबर के शरद मासों में मनाये जाने वाले दस दिन में हिन्दू त्योहार जिसे दशहरा, दुर्गा पूजा तथा नवरात्रि या महानवमी नामों से जाना जाता है l

2.   इस अवसर पर होने वाले धर्मानुष्ठानों में मूर्ति की पूजा, राज्य के अश्व की पूजा, तथा भैंसों और अन्य जानवरों की बली सम्मिलित थी l नृत्य, कुश्ती प्रतिस्पर्धा तथा साज लगे घोड़ों हाथियों तथा रथों और सैनिक की शोभयात्रा तथा साथ ही प्रमुख नायकों और अधिनस्त राजाओं के जरिये राजा और उसके अतिथियों को दी जाने वाली ओपचारिक भेंट इस अवसर के प्रमुख आकर्षण थे l

3.   विद्वानों का मानना है की महानवमी डिब्बा अनुष्ठानों का केंद्र नही था l सरंचना के चारों और का स्थान सस्श्त्र आदमियों, औरतों तथा बड़ी संख्या में जानवरों की शौभयात्रा के लिए पर्याप्त नहीं था l राजकीय केंद्र में स्थित कई और सरंचनाओं की तरह यह भी एक पहेली बाना हुआ है l

5. चित्र में विरूपाक्ष मंदिर के एक अन्य स्तंभ का रेखाचित्र है क्या आप कोई पुष्प-विषयक रुंपाकन देखते हैं ? किन जानवरों को दिखाया गया है ? आपके विचार में उन्हें क्यों चित्रित किया गया है ? मानव आकृतियों का वर्णन कीजिए l

उत्तर:

1.   ध्यान से देखने पर विरूपाक्ष मंदिर के स्तंभ पर पाया की उस स्तंभ पर अनेक वनस्पतियों के चित्रों के साथ-साथ विभिन्न प्रकार के पशु पक्षियों की आकृतियोंकोमुर्तिबद्ध किया गया है l

2.   विचार अनुसार उस समय मंदिर विभिन्न प्रकार की धार्मिक, संस्कृतिक और अन्य गतिविदियों का केंद्र था l लोगों को कृषि से जुड़े हुए आनाजों पेड़-पौधों, पशु-पक्षियों का मानव-जीवन में कितना ज्यादा महत्त्व है l उस ओर लोगों का ध्यान एक्तित्र करने हेतु ऐसा किया गया l

3.   मंदिरों में अनेक पशु पक्षियों को देवी-देवताओं का वाहन मानकर पूजा जाता था l इन प्रतीकात्मक पशु-पक्षियों, पेड़-पौधों आदि से मध्य में लोगों को यह संदेश दिया जाता था की वह हरियाली, वन्य जीवन जंतुओं आदि को संरक्षण प्रदान करें l

4.   विभिन्न देवी-देवताओं को मानवीय आकृतियों के माध्यम से प्रतिबिंबित किया गया l हिन्दू धर्म, अवतारवाद और धार्मिक प्रतीकों और चिन्हों को सम्मान देता है l यह आकृतियाँ भी बताती है की ईश्वर की सबसे महान कृति मानव है इसलिए हिंदू अपने अनजाने देवी-देवताओं को स्त्री और पुरुषो के रूप में मंदिरों में स्थापित करतेहैं l

6. ‘शाही केंद्र’ शब्द शहर के जिस भाग के लिए प्रयोग किए गए हैं क्या वे उस भाग का सही वर्णन करतेहैं ?

उत्तर :

1.   हमारे विचारानुसार शहर के दक्षिणी-पशिचमी भाग को शाही केंद्र की संज्ञा दी गई है l पर इसमें 60 से अधिक मंदिर सम्मिलित थे l मंदिरों और सम्प्रदायों को प्रश्रय देना शासकों के लिए महत्त्वपूर्ण था l

2.   लगभग तीस सरंचनाओं की पहचान महलों के रूप में की गई है l ये अपेक्षाकृत बड़ी संरचनाएँ हैं जिनकाआनुष्ठानिक कार्यों से संबद्ध नहीहोताl इन सरंचनाओं तथा मंदिरों के बीच एक अंतर यह था की मंदिर पूरी तरह से राजगिरी से निर्मित थे जबकि धर्मेतर भवनों की अधिरचना विकारी वस्तुओं से बनाई गई थी l

3.   मेरे विचारानुसार इसे शाही केंद्र कहना सही नही हैं क्योंकि शाही केंद्र तो राजमहल, किलों, राजदरबारों और राजनैतिक गतिविधियों का प्रमुख केंद्र होता है l विजयनगर के राजाओं के लिए धार्मिक मंदिरों को शाही केंद्र के रूप में नाम देना उनकी एक विवशता थी l उनका राज्य धर्म प्रधान था और उस समय समाज में धर्म, देवताओं और पुरोहितों के नाम पर लोगों से धन इकट्ठा करना और राजकीय हितों के लिय समय आने पर संघर्ष करना ज्यादा सरल था l

7.कमल महल और हथियारों के अस्तबल जैसे भवनों का स्थापत्य हमें उनके बनवाने वाले शासकों के विषय में क्या बताता है ?

उत्तर : कमल महल और हाथियों के अस्तबल जैसे भवनों का स्थापत्य हमे उनके बनवाने वाले शासकों के बारे में निम्न जानकारी देता है :

1.   कमल महल शाही केंद्र का एक सर्वाधिक भव्य भवन है l संभवतः इस भवन का प्रयोग राजा अपने सलाहकारों से मिलने के लिए करता था l यदि इस अनुमान को गलत मान लिया जाए तो एक दुसरे अनुमान के अनुसार कमल महल , का प्रयोग राजा और उसके परिवारों के जरिये महल के साथ में किया जाता था l

2.   बिच के देवस्थल की मूर्तियाँ अब नहीं हैं , लेकिन दीवारों पर बनाए गए पटल मूर्तियाँ सुरक्षित हैं इनमें मंदिरों की आंतरिक दीवारों पर उत्कीर्णित रामायण से लिए गए कुछ दृश्यांश सम्मिलित हैं l 

3.   शहर पर आक्रमण के पश्चात विजयनगर की कई संरचना विनष्ट हो गयी थी, पर नायकों  ने महलनुमा संरचनाओं के निर्माण की परंपरा को जारी रखा l

4.   कमल महल के पास ही हाथियों का अस्तबल है l इसमें बड़ी संख्या में हाथियों को रखा जाता था l कमल महल और हाथियों के अस्तबल को देखने से पता लगता है की विजयनगर में स्थापत्य कला ने बहुत प्रगति की l राजाओं ने विशाल महल और सेना के काम में आने वाले भवन बनवाए l जनता से धन लिया गया और साथ-साथ विशाल इमारतों के बनवाने के प्रयोग में लाया जाता था l

5.   इन इमारतों से यह भी पता लगता है के शहर में अनेक मंदिर और उनकी दीवारों पर मूर्तियाँ बनाई जाती थीं वास्तुकला में इंडो-इस्लामिक शैली का प्रयोग किया गया l इन विशाल इमारतों को देखने से यह भी निष्कर्ष निकलता है की विजयनगर की साम्राज्य की आर्थिक निति बहुत सुदृढ़ थी

8. स्थापत्य की कौन-कौन से परंपराओं ने विजयनगर के वास्तुविदों को प्रेरित किया ? उहोंने इन परंपराओं में किस प्रकार बदलाव किए ?

उत्तर :

1.   विजयनगर साम्राज्य के शासकों को स्थापत्य की अनेक परंपराओं ने प्रेरित किया l वहाँ के वास्तुकला विशेषज्ञों और कारीगरों ने विजयनगर विशाल शहर का निर्माण किया l इस शहर के नाम पर ही विजयनगर साम्राज्य को संज्ञा दी गई l इस प्रकार विजयनगर एक शहर और एक साम्राज्य दोनों के लिए प्रयुक्त नाम था l

2.   विजयनगर सम्राटों ने अपनी राजधानी कृष्णा-तुंगभद्रा के समीप बनवाई और इन नदियों के बिच के क्षेत्र को अपने अधिकार में रखने का प्रयास किया l ये भारत में महाजन पद काल से ही परंपरा जारी थी l

3.   विजयनगर साम्राज्य में विशाल मंदिर स्थापत्य को भी अपनाया गया l इस क्षेत्र के शासक वर्ग ने अनेक विशाल मंदिरों जैसे तंजावुर के वृहदेश्वर मंदिर तथा वैलुर के चन्न केशव मंदिर को संरक्षण प्रदान किया l

4.   मंदिर निर्माण में शासकों के साथ-साथ व्यापारी वर्ग और जनसाधारण ने भी रूचि ली l इन विशाल मंदिरों की भव्यता का उल्लेख विदेशी यात्रियों जैसे निकालों दे कान्ति , इतालवी, अब्दुल रज्जाक, अफानासी निकितन, दुआर्ते बरबोसा, पुर्तगाली आदि ने की है l

5.   शहर और साम्राज्य में विशाल कुंडों, जलाशयों/हौजों, नहरों के जरिये जल-आपूर्ति  की व्यवस्था करने की ओर भी शासकों और वास्तुविदों ने ध्यान दिया l

6.   शहरों की किला बंदी की गयी और सडकें बनवाई गईं l किलाबंदियों के जरिये खेतों को घेरा गया l किले बंद दीवारों में जगह-जगह बिच-बिच में बनवाए गए द्वारों के लिए शासकों ने इंडो-इस्लामिक स्थापत्य के तत्वों को अपनाया l

7.   किलेबंद बस्ती में जाने के लिए प्रवेश द्वारों पर बनी मेहराब और साथ ही द्वारके ऊपर बनी गुबंद तुर्की सुल्तानोंकेजरियेप्रवातिर्तस्थापत्य के चारित्रिक तत्व माने जाते हैं l

8.   सडकें सामान्य पहाड़ी भागों से बचकर घाटियों से ही इधर-उधर घुमावदार बनाई जाती थीं l शहरों की महत्त्वपूर्ण सडकों को अनेक मंदिरों के प्रवेश द्वार के सामने से निकाला जाता था l

9.   शहरों में कुछ धनी लोगो के भव्य भवन थे और मुसलमानों के लिए रिहायशी मुहल्ले अलग से बनाये गये थे l इनमे विशेष रूप से प्राप्त मकबरों और मस्जिदों के अवशेष इस बात की पुष्टि करते हैं

10.                    कुएँ,बरसात के पानी वाले जलाशय और साथ ही मंदिर के जलाशय साधारण नगर के निवासियों के लिए पानी के स्रोत का कार्य करते थे l

9.अध्यायके विभिन्न-विवरणों से आप विजयनगर के साम्राज्य लोगों के जीवन की क्या छवि पाते हैं ?

उत्तर: अध्यायकेविभिन्नविवरणोंसेहमेंविजयनगरकेसामान्यलोगोंकीविभिन्नछविप्राप्तहोतीहै।

1.   सामान्य लोगों के बारे में बहुत ज्यादा विवरण प्राप्त नहीं होते क्योंकि सामान्य लोगों के आवासों जो अब अस्तित्व प्राप्त नहीं हुए उनके बारे में सोलहवीं शताब्दी का पुर्तगाल यात्री बरबोसा कुछ इस प्रकार वर्णन करता है : “लोगों के अन्य आवास छप्पर के हैं , पर फिर भी सुदृढ़ है, और व्यवसाय के आधार पर कई खुले स्थानों वाली लंबी गलियों में व्यवस्थित हैं l”

2.   क्षेत्र-सर्वेक्षण इंगित करते हैं की इस पुरे क्षेत्र में बहुत से पूजा स्थल और छोटे मंदिर थे जो विविध प्रकार के संप्रदायों, जो संभवत: विभिन्न समुदायों के जरिये संरक्षित थे, के प्रचलन की और संकेत करते हैं सर्वेक्षणों से यह भी इंगित किया जा सकता है की कुएँ, बरसात के पानी वाले जलाशय और साथ ही मंदिरों जलाशय का स्रोत है l

3.   विजयनगर साम्राज्य में साधारण लोग विभिन्न सम्प्रदायों जैसे हिंदू-शैव,वैष्णों, जैन, बौद्ध और इस्लाम के अनुयायी रहते थे l वह विभिन्न भाषाओँ का जैसे कन्नड़, तमिल, तेलगु, संस्कृत आदि का प्रयोग करते थे l

4.   सामान्य लोगों में कुछ छोटे व्यापारी और कुछ सौदागर भी थे जो गाँव, कस्बों और छोटे शहरों में रहते थे l इनमे से कुछ व्यापारी बंदरगाह शहरों में भी रहते थे l स्थानीय वस्तुओं जैसे मसाले, मोती, चन्दन आदि के साथ-साथ कुछ व्यापारी घोड़े और हथियों का व्यापार भी करते थे l

5.   किसान,श्रमिक, दास आदि को भी साधारण लोगों में शामिल किया जा सकता था l साम्राज्य में कुछ सामान्य ब्राह्मण, व्यापारी और दास, दासियाँ भी थीं l साधारण लोग कृषि कार्यों के साथ-साथ विभिन्न प्रकार के तथाकथित छोटे समझे जाने वाले कार्य भी किया करते थे l

6.   विजयनगर में श्रमिकों को विप्रा विनोदधियन भी कहाजाता है l इस वर्ग में लोहार,सुनार, बढ़ई, मूर्तिकार आदि कहे जाते थे l हमारे विचानुसार यह कथन ठीक नहीं जान पड़ता l विदेशी वृतांतों ने भारतीय समाज के देशों को व्यक्त करने पर अधिक जोर दिया है l

Exit mobile version