लोकतान्त्रिक व्यवस्था का संकट
कक्षा 12 राजनीति विज्ञान
नोट्स
आपातकाल की पृष्ठभूमि
1. 1967 में भारी बहुमत के साथ इंदिरा गाँधी चुनाव जीतकर आयी थी लेकिन चुनाव में किये वादे पूरे न होने पर जल्द ही लोगो में असंतोष का माहौल बन गया l
2. विपक्षी पार्टियाँ बहुत हमलावर हो गयी l
3. सर्वोच्च न्यायलय ने सरकार की कई पहलकदमियों को संविधान के विरुद्ध माना और उसे रद्द कर दिया l
4. कांग्रेस पार्टी का मानना था की अदालत एक यथास्थितिवादी संस्था है l यह गरीबो को लाभ पहुचाने वाले कार्यक्रमों को लागू करने की रह में रोड़े अटका रही है l
5. राजनीति अब सरकारी कम और निजी प्राधिकार अधिक हो गया था l
आपातकाल की पृष्ठभूमि आर्थिक सन्दर्भ में
1. 1971-72 के बाद के वर्षों में भी सामाजिक आर्थिक दशा में कोई सुधर नहीं हुआ |
2. बांग्लादेश के संकट से भारत की अर्थव्यवस्था पर भारी बोझ पड़ा |
3. पाकिस्तान के साथ युद्ध करने से भी अर्थव्यवस्था की गति थम गयी थी |
4. पाकिस्तान के साथ युद्ध के बाद अमेरिका ने हर प्रकार की सहायता बंद कर दी
5. इसी दौरान अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में तेल की कीमत में जबरदस्त उछाल आया | तेल की कीमत बढ़ने से वस्तुओं की कीमत 23 से 30 तक बढ़ गयी |
6. बेरोजगारी दिन पर दिन बढ़ती गयी और खाद्यान में उत्पादन कम हो गया l
7. सरकारी कर्मचारियों का वेतन रोक दिया गया जिससे कर्मचारिओं में गहरा असंतोष था l
8. इस सभी कारणों से विरोधी पार्टियों ने सरकार का जमकर विरोध किया जिसमे आम जनता पार्टियों से भी आगे थी l
गुजरात आन्दोलन
1. गुजरात और बिहार दोनों ही प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी l
2. 1974 में गुजरात में खाद्य वस्तुओं, तेल और और अन्य वस्तुओं के मूल्य में वृद्धि के कारण छात्रों में बहुत गुस्सा था l
3. उच्च पदों पर व्याप्त भ्रस्ताचार के कारण भी छात्रों में काफी नाराजगी थी l
4. इन छात्रों ने सरकार के खिलाफ आन्दोलन छेड़ दिया l इस आन्दोलन में धीरे-धीरे राजनितिक पार्टियाँ भी शामिल हो गयी l
5. विपक्षी दलों के द्वारा समर्थित छात्र आन्दोलन के भारी दबाव में जून 1975 में चुनाव कराये गए जिसमे कांग्रेस की भारी हर हुई |
बिहार के आन्दोलन
1. 1974 के मार्च में बढती कीमते, खाद्यान्न के आभाव और बेरोजगारी के साथ साथ भ्रस्ताचार के खिलाफ छात्रों ने आन्दोलन छेड़ दिया l
2. जय प्रकाश J P के समर्थन मिलने से आन्दोलन ने अब राजनितिक चरित्र ग्रहण कर लिया और इसकी लोकप्रियता बढ़ गयी l
3. जय प्रकाश नारायण के आन्दोलन में जुड़ने से लाखो लोग आन्दोलन से जुड़ने लगे और देखते ही देखते आन्दोलन राष्ट्रीय स्तर पर फ़ैल गया l
4. उन्होंने सामाजिक आर्थिक और राजनितिक दायरे में “सम्पूर्ण क्रांति” की मांग की ताकि सच्चे लोकतंत्र की स्थापना हो सके l
5. बिहार की सरकार के खिलाफ घेराव, बंद और हड़ताल का सिलसिला चल पड़ा l सरकार ने इस्तीफ़ा देने से इंकार कर दिया l
6. जे. पी. ने संसद मार्च का नेतृत्व किया जिसमे उनको भारतीय जनसंघ, भारतीय लोकदल, सोशालिस्ट पार्टी, कांग्रेस (ओ) के साथ साथ सभी विपक्षी पार्टियों का समर्थन मिला l
7. वहीं इंदिरा गाँधी यह मानती थी की आन्दोलन उनके प्रति व्यक्तिगत विरोध से प्रेरित है l
आपातकाल की पृष्ठभूमि न्यायपालिका के सन्दर्भ में
1. इस दौर में न्यायपालिका और सरकार में मतभेद बढ़ गए थे l मौलिक अधिकारों को लेकर संसद और सर्वोच्च न्यायलय आमने सामने थे l
2. सरकार का मानना था की सरकार राज्य के नीति निर्देशक तत्वों को लागू करने के लिए मौलिक अधिकारों में कटौती कर सकते है l इसलिए संविधान में संसोधन करते हुए मौलिक अधिकारों में कटौती कर दी l
3. सर्वोच्च नयायालय ने इस संशोधन को असंवैधानिक करार देते हुए इसे निरस्त कर दिया l
4. सर्वोच्च न्यायलय ने केशवानंद भारती के मुक्कदमे में फैसला देते हुए ये कहा की संविधान के मूल ढांचे से छेड़ छाड़ नहीं की जा सकती है l
5. इंदिरा गाँधी की सरकार ने तीन वरिष्ठ न्यायाधीशों की अनदेखी करते हुए ए. एन. रे की नियुक्ति मुख्य न्यायाधीश के रूप में कर दी l
6. न्यायलय के संग सरकार का चरम बिंदु तब आया जब इलाहबाद उच्च न्यायायलय ने इंदिरा गाँधी के निर्वाचन को रद्द करने का फैसला सुनाया l
आपातकाल की घोषणा
25 जनवरी 1975 को आपातकाल की घोषणा कर दी गयी l
आपातकाल घोषित करने का घटनाक्रम
1. राजनारायण इंदिरा गाँधी के खिलाफ 1971 में बतौर उम्मीदवार चुनाव में खड़े हुए थे l उन्होंने इंदिरा गाँधी पर अपने चुनावी फायदे के लिए सरकारी मशीनरी का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया और न्यायलय में याचिका दाखिल की l
2. 12 जून 1975 को इलाहाबाद उच्च न्यायलय ने फैसला सुनाया और इंदिरा गाँधी के निर्वाचन को रद्द कर दिया l
3. इस फैसले के बाद कानूनन इंदिरा गाँधी अब संसद सदस्य नहीं रही और अगर वह 6 महीने के अन्दर दोनों सदनों में से किसी एक सदन की सदस्य नहीं बनी तो प्रधानमंत्री पद पर बनी नहीं रह सकती है l
4. 24 जून 1975 को सर्वोच्च न्यायलय ने इस फैसले पर आंशिक स्थगनादेश सुनाया की अपील का फैसला होने तक इंदिरा गाँधी सांसद बनी रहेंगी परन्तु लोकसभा की कार्यवाही में भाग नहीं ले सकेंगी l
5. 25 जून 1975 में दिल्ली के रामलीला मैदान में जय प्रकाश नारायण ने सभी विपक्षी पार्टियों के साथ मिलकर एक विशाल प्रदर्शन किया और इंदिरा गाँधी के इस्तीफे की मांग की l
6. जे. पी. ने सेना, पुलिस और सरकारी कर्मचारियों का आह्वान किया की सरकार के अनैतिक और अवैधानिक आदेशों का पालन न करे l
7. इससे सरकारी कम ठप्प हो जाने का अंदेशा पैदा हुआ l
8. सरकार ने जवावी कार्यवाही करते हुए संविधान के अनुच्छेद 352 के तहत देश में आपातकाल की घोषणा कर दी l
9. अनुच्छेद 352 में यह प्रावधान किया गया है की देश में आतंरिक या बाहरी गड़बड़ी की आशंका होने पर आपातकाल लगाया जा सकता है l
आपातकाल के परिणाम
1. हड़तालों पर रोक लगा दी गयी l
2. विपक्षी नेताओं को जेल में दल दिया गया l
3. समाचार पत्रों से कहा गया की कुछ छापने से पहले सरकार की अनुमति जरूरी है l इसे प्रेस सेंसरशिप के नाम से जाना गया l
4. इंडियन एक्सप्रेस स्टेट्समैन के साथ साथ सेमिनार और मेनस्ट्रीम जैसी पत्रिकाओं ने प्रेस सेंसरशिप का विरोध किया l
5. सरकार ने सांप्रदायिक गड़बड़ी की आशंका को देखते हुए राष्ट्रिय स्वयं सेवक संगठन और जमात-ए-इस्लामी पर प्रतिबन्ध लगा दिया l
6. धरना, प्रदर्शन और हड़ताल की अनुमति नहीं थी l
7. मौलिक अधिकार जो की नागरिको का मूल अधिकार होता है निष्प्रभावी हो गये l
8. निवारक नजरबंदी का इस्तेमाल करते हुए सरकार ने हजारों लोगो को गिरफ्तार किया l
9. बहुत से नेता जो गिरफ़्तारी से बच गए थे भूमिगत हो गये l
10. कई साहित्यकारों जैसे शिवराम कारंत और फनीश्वरनाथ ‘रेनू‘ ने लोकतंत्र के दमन के चलते अपनी पदवीय लौटा दी l
11. इंदिरा गाँधी के निर्वाचन को वैध करने के लिए संविधान ने संशोधन हुआ जिसके अंतर्गत प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के पद के निर्वाचन को अदालत में चुनौती नहीं दी जा सकती है l
12. आपातकाल के दौरान ही संविधान का 42वीं संशोधन हुआ जिसमे से एक संशोधन यह था की देश की विधायिका का कार्यकाल 5 वर्ष से बढाकर 6 वर्ष कर दिया गया l
आपातकाल के लिए दृष्टिकोण
सत्ता पक्ष का दृष्टिकोण
1. सरकार का तर्क था की भारत में लोकतंत्र है और इसके अनुकूल विपक्षी दल को चाहिए की वे निर्वाचित शासक दल को अपनी नीतियों के अनुसार शासन चलने दे l
2. विपक्षी पार्टियों का बार बार विरोध और धरना प्रदर्शन लोकतंत्र ठीक नहीं है l इससे लोकतंत्र में अराजकता फैलने का डर बना रहता है l
3. सरकार समर्थको का यह विचार था की सरकार पर निशाना साधने के लिए गैर संसदीय राजनीति का सहारा नहीं लिया जा सकता है l
4. विरोध प्रदर्शन से सरकार को अपने संसाधन विरोध आन्दोलन को दबाने और कानून व्यवस्था को बहाल करने में लगानी पड़ती है जिससे लोक कल्याण के कार्य प्रभावित होते है l
विपक्ष के दृष्टिकोण
1. आज़ादी से लेकर आज तक जनांदोलनों का सिलसिला रहा है इसलिए लोकतंत्र में लोगों को सार्वजनिक तौर पर सरकार के विरोध का अधिकार होना चाहिए l
2. बिहार और गुजरात में जो आन्दोलन चले वह ज्यादातर समय अहिंसक रहे l
3. देश के आंतरिक मामलों का जिम्मा गृह मंत्रालय का होता है और गृह मंत्रालय ने कानून के बाबत कोई चिंता नहीं जताई थी l
4. अगर आन्दोलन हिंसक हो भी जाये तो सरकार के पास इतने संसाधन और शक्तियां है की वह उसे सही कर सके l
5. देश के लोकतान्त्रिक कार्यप्रणाली को ठप्प करके आपातकाल लागू करने की कोई जरूरत नहीं थी l
6. आलोचकों का मानना है की देश को बचाने के लिए बनाये गए संवैधानिक प्रावधान का दुरूपयोग इंदिरा गाँधी ने नीजी ताकतों को बचाने के लिए किया l
शाह जाँच आयोग
1. 1977 की जनता पार्टी की सरकार ने सर्वोच्च न्यायलय के सेवानिवृत मुख्य न्यायाधीश श्री जे.सी. शाह की अध्यक्षता में एक आयोग गठित किया था l
2. 25 जून 1975 में गठित शाह आयोग का मुख्य कार्य आपातकाल के दौरान की गयी कार्यवाई तथा सत्ता का दुरूपयोग अतिचार और कदाचार की विभिन्न आरोपों के विविध पहलुओं की जाँच करना था l
3. आयोग ने हजारो गवाहों के बयान दर्ज किये
4. आयोग ने कुल मिलकर तीन रिपोर्ट पेश की जिसमे से तो अन्तरीम रिपोर्ट और एक अंतिम रिपोर्ट थी l
5. यह रिपोर्ट संसद के दोनों सदनों में विचार के लिए रखी गयी l
आपातकाल से सबक
1. आपातकाल से पहला सबक यह मिला की लोकतंत्र को भारत से विदा कर पाना बहुत ही मुश्किल है l
2. आपातकाल प्रावधानों में अंदरूनी गड़बड़ी के तहत अब आपातकाल तभी लग सकता था जब सशत्र विद्रोह हो l
3. आपातकाल के बाद नागरिक अधिकारों की रक्षा के लिए कई संगठन वजूद में आये l
लोकसभा चुनाव 1977
1. आपातकाल के बाद पहली बार लोकसभा चुनाव हुए l इस चुनाव में कांग्रेस पार्टी की करारी हार हुई l
2. इस चुनाव में जनता दल जो की लगभग सभी विपक्षी पार्टियों से मिलकर बनी थी की भारी जीत हुई l
3. जनता पार्टी को 542 सीटो में से कुल 295 और पूरे गठबंधन को 330 सीटें प्राप्त हुई थी l मोरारजी देसाई प्रधानमंत्री बने l
4. इस चुनाव में कांग्रेस का उत्तर भारत में तो सफाया हो गया लेकिन दक्षिण भारत में उसकी पकड़ अभी भी बनी रही l और उसे 154 सीटें मिली l
5. जनता पार्टी जल्द ही टूट का शिकार हो गयी l और 18 महीने बाद ही सरकार गिर गयी l इसके बाद कांग्रेस के समर्थन से चौधरी चरण सिंह देश के प्रधानमंत्री बने परन्तु चार महीने में कांग्रेस ने उनकी सरकार गिरा दी l
1980 के आम चुनाव
जनवरी 1980 में लोकसभा के चुनाव में कांग्रेस को 1971 की तरह बहुत भरी बहुमत मिला और इंदिरा गाँधी एक बार फिर से प्रधानमंत्री बनी l