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राष्ट्रपति शक्तियाँ और कार्य

“राष्ट्रपति शक्तियाँ एवं कार्य ” के इस अंक में हम उनकी की नियुक्ति कैसे होती है जानेंगे l

राष्टपति कार्य और शक्तियाँ भारत के राष्ट्रपति

राष्ट्रपति 

भारत के संविधान में औपचारिक रूप से राष्ट्रपति शक्तियाँ और कार्य को कार्यपालिका शक्तियां राष्ट्रपति को दी गई हैं l परंतु शक्तियों का उपयोग केवल प्रधानमंत्री उसके मंत्रिपरिषद की सलाह पर ही कर सकता है l  उनको को देश का प्रथम नागरिक माना गया है l  वह औपचारिक रूप से देश का अध्यक्ष भी होता है l  

भारत में राष्ट्रपति संसदीय प्रणाली के अंतर्गत नियुक्त होता है l जिसमें वह राष्ट्र के नाम मात्र के अध्यक्ष हैं l  उनकी वास्तविक शक्तियां प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद के पास होती है l प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद जनता के लिए संसद के लिए जवाब देह हैं l भारत के राष्ट्रपति

राष्ट्रपति की आवश्यकता क्यों?

भारत एक लोकतांत्रिक देश है l प्रधानमंत्री को प्रत्यक्ष रूप से चुने गए प्रतिनिधि  चुनते है l प्रधानमंत्री की नियुक्ति और मंत्रिपरिषद की नियुक्ति राष्ट्रपति के द्वारा की जाती है l  चुनाव के पश्चात राजनीतिक अस्थिरता बनी रह सकती है और ऐसे में सरकार 5 वर्ष या उससे पहले ही गिर सकती है l  ऐसे समय में एक स्थाई राष्ट्र प्रमुख की आवश्यकता होती है l जो राष्ट्र के लिए समय पर सही निर्णय ले सकें और नए प्रधानमंत्री और उसके मंत्री परिषद की नियुक्ति कर सकें l राष्ट्रपति की शक्तियाँ और कार्य का लाभ मुख्य रूप से प्रधानमंत्री और उसकी मंत्रिपरिषद करती है l

राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति की योग्यता

राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति बनने के लिए संविधान के अनुच्छेद 58 के अंतर्गत निम्नलिखित योग्यताएं होनी चाहिए:

राष्ट्रपति का चुनाव

भारत के राष्ट्रपति की नियुक्ति संविधान के भाग 5 और अनुच्छेद 53 के अंतर्गत की जाती है

भारत में राष्ट्रपति का चुनाव समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली और एकल संक्रमणीय चुनाव प्रणाली के द्वारा किया जाता है l भारत में राष्ट्रपति का चुनाव प्रत्यक्ष रूप से जनता नहीं करती है l जनता के द्वारा चुने हुए प्रतिनिधि जिसमें राज्यों की विधानसभा के सदस्य ,राज्य विधान परिषद के सदस्य, लोकसभा के सदस्य और राज्यसभा के सदस्य शामिल होते हैं l 

राष्ट्रपति के अधिकार

कार्यपालिका प्रमुख के पद से राष्ट्रपति को हटाना : महाभियोग

संविधान के अनुसार उसको केवल एक ही प्रक्रिया के द्वारा उसके पद से हटाया जा सकता है l  इस प्रक्रिया को महाभियोग कहा जाता है l  महाभियोग की प्रक्रिया उन पर तब लागू होती है जब उसके खिलाफ संविधान का उल्लंघन दुर्व्यवहार या अक्षमता साबित हो जाएँ l 

राष्टपति

इसके अनुसार महाभियोग की प्रक्रिया प्रारंभ करने के लिए संसद के दोनों सदनों में से किसी एक सदन जैसे राज्यसभा लोकसभा में प्रस्ताव लाना होगा l दोनों सदनों में भी प्रस्ताव लाया जा सकता है परंतु जिस सभा में प्रस्ताव बाद में लाया गया है उसे रद्द माना जाता है l  लोकसभा में प्रस्ताव लाने के लिए कम से कम 100 सदस्यों के हस्ताक्षर आवश्यक हैं जबकि राज्यसभा में प्रस्ताव लाने के लिए कम से कम 50 सदस्यों के हस्ताक्षर जरूरी हैं 1 

दोष साबित होने के बाद

राष्ट्रपति पर जांच में दोष साबित होने के पश्चात लोकसभा और राज्यसभा में वोटिंग होती है l  वोटिंग में यदि यह प्रस्ताव दो तिहाई बहुमत से पास हो जाता है l  तो राष्ट्रपति को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ता है l  इसी प्रक्रिया को महाभियोग कहा जाता है l 

विशेष  कार्यपालिका शक्तियाँ

उपराष्ट्रपति कार्य और शक्तियाँ

 भारत में इनका का निर्वाचन उसी प्रकार से किया जाता है जिस प्रकार के राष्ट्रपति का निर्वाचन किया जाता है l  उपराष्ट्रपति के निर्वाचन में राज्यों के विधान सभा के सदस्य भाग नहीं लेते हैं l 

 उपराष्ट्रपति राज्यसभा का पदेन अध्यक्ष होता है l  यह आवश्यक नहीं उपराष्ट्रपति राज्यसभा का सदस्य हो l  कोई भी वह नागरिक जो राज्यसभा की सदस्यता के लिए योग्यता रखता हो उपराष्ट्रपति बन सकता है l  उपराष्ट्रपति  राष्ट्रपति(मृत्यु होने पर ) की अनुपस्थिति में राष्ट्रपति के तौर पर  तब तक कार्य करता है जब तक कि नए राष्ट्रपति का चुनाव नहीं हो जाता है l और अधिक कार्य और शक्तियाँ के लिए आप हमारे एनी पेज को विजिट कर सकते है l

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