कक्षा 12 इतिहास सैम्पल पेपर Class 12 History Sample Paper with solution
सामान्य निर्देश
सभी प्रश्न अनिवार्य है प्रश्न संख्या 1 से 5 तक 2 अंकों के हैं ।
प्रश्न संख्या 6 से 16 तक 5 अंको के हैं ।
प्रश्न संख्या 17 से 18 तक 8 अंको के हैं ।
खंड घ के 3 स्रोतों पर आधारित है ।
प्रश्न 1 हड़प्पा की लिपि की कोई 2 विशेषताएं लिखिए
उत्तर :
मानचित्रों को उत्तर पुस्तिका के साथ संलग्न करें ।
हड़प्पा की लिपि की वर्णमाला ही नहीं थी इसमें चिन्हों की संख्या कहीं अधिक है लगभग 375 से 400 के बीच ।
यह लिपि दाईं से बाईं ओर लिखी जाती थी ।
प्रश्न 2 मुस्लिम संतों की दरगाहों में हजारों भक्त क्यों जाते हैं ?
उत्तर :
मुस्लिम संतों की मृत्यु के बाद उसकी दरगाह उसके मुरीदों के लिये भक्ति का स्थान बन जाती है हजारों भक्त दरगाह पर जियारत के लिए जाते हैं क्योंकि उनका मानना था कि मृत्यु के बाद पीर ईश्वर से एकीभूत हो जाते हैं और इस तरह पहले की बजाय उनके अधिक करीब हो जाते हैं ।
लोग आध्यात्मिक और एहीक कामनाओं की पूर्ति के लिए उनका आशीर्वाद लेने जाते हैं।
प्रश्न 3 : 1850 के बाद के भारत में औपनिवेशिक शहरों की 2 विशेषताएं लिखिए ।
उत्तर :
औपनिवेशिक शहर नए शासकों की वाणिज्य संस्कृति को प्रतिबिम्बित करने लगे
राजनीतिक सत्ता और संरक्षण भारतीय शासकों के स्थान पर ईस्ट इण्डिया कम्पनी के व्यापारियों के हाथ में जाने लगीं ।
निम्नलिखित में से किन्ही 5 प्रश्न के उत्तर दीजिये:
प्रश्न 4 बीसवीं शताब्दी में किये गये महाभारत के संकलन के विभिन्न सोपानों का वर्णन कीजिये
उत्तर : 1919 में प्रसिद्ध संस्कृत विद्वान वी एस सुकथांकर के नेतृत्व में 1 अत्यंत महत्वाकांक्षी परियोजना की शुरुआत हुई अनेक विद्वानों ने मिलकर महाभारत का समालोचनात्मक संस्करण तैयार करने का जिम्मा उठाया ।
संकलन के विभिन्न सोपान: –
देश के विभिन्न भागों में विभिन्न लिपियों में लिखी गई महाभारत की साँस संस्कृत पाण्डुलिपियों को एकीकृत किया गया
विद्वानों ने सभी पांडुलिपियों में पाए जाने वाले श्लोकों की तुलना करने का एक तरीका ढूंढ़ निकाला उन्होंने उन श्लोकों का चयन किया जो लगभग सभी पांडुलिपियों में पाए गए थे ।
इन श्लोको का प्रकाशन 13000 पृष्ठों में फैले अनेक ग्रन्थ खंडों में किया गया इस परियोजना को पूरा करने में 45 वर्ष लगे ।
इस पूरी प्रक्रिया में 2 बातें विशेष रूप से उभर कर आई पहली संस्कृत के कई पाठों के अनेक अंशों में समानता थी समूचे उपमहाद्वीप में उत्तर से कश्मीर और नेपाल से लेकर दक्षिण में केरल और तमिलनाडु तक सभी पांडुलिपियों में यह समानता देखी गई ।
दूसरा कुछ शताब्दियों के दौरान हुए महाभारत के प्रेषण में अनेक क्षेत्रीय प्रभेद भी उभर कर सामने आए इन प्रभेदों का संकट मुख्य पाठ की पाद टिप्पणियों और परिशिष्टों के रूप में किया गया 13000 पृष्ठों में से आधे से भी अधिक इन प्रभेदों का ब्योरा देते हैं ।
प्रश्न 5 प्राचीन काल में सम्पत्ति के अधिकार प्राप्त करने के कारण पुरुष और महिलाओं के मध्य सामाजिक भेदभाव को कैसे तीक्ष्णता प्राप्त हुई ?
उत्तर: प्राचीन काल में सम्पत्ति के अधिकार प्राप्त करने के कारण पुरुष और महिलाओं के मध्य सामाजिक भेदभाव-
मनुस्मृति के अनुसार पैत्रिक सम्पत्ति का माता पिता की मृत्यु के बाद सभी पुत्रों में समान रूप से बंटवारा किया जाना चाहिए
ज्येष्ठ पुत्र विशेष भाग का अधिकारी था स्त्रियां इस पैतृक संसाधन में हिस्सेदारी की मांग नहीं कर सकती थी विवाह के समय मिले उपहारों पर स्त्रियों का स्वामित्व माना जाता था और इसी स्त्री धन कि संज्ञा दी जाती थी ।
इस सम्पत्ति को उनकी संतान विरासत के रूप में प्राप्त कर सकती थी और इस पर उनके पति का कोई अधिकार नहीं होता था ।
मनुस्मृति में स्त्रियों को पति की आज्ञा के विरुद्ध पारिवारिक सम्पत्ति अथवा स्वयं अपने बहुमूल्य धन के गुप्त संचय के विरूद्ध भी चेतावनी देती है ।
कुछ धनाढ्य उच्च वर्ग का महिलाओं जैसे वाकाटक महिषी प्रभावती गुप्त का उदाहरण मिलता है जो संसाधनों पर पुरुषों का ही नियंत्रण था भूमि पशु और धन पर पुरुषों का ही नियंत्रण था इस प्रकार हम देखते हैं कि स्त्री और पुरुष के बीच सामाजिक हैसियत की विभिन्नता संसाधनों पर उनके नियंत्रण की विभिन्नता की वजह से अधिक प्रखर हुई ।
प्रश्न 6 : बीसवीं शताब्दी तक के खंडहरों के आधार पर हम्पी शहर और राज्य के इतिहास के पुनर्निर्माण में विद्वानों द्वारा किये गए विभिन्न प्रयासों का वर्णन कीजिये।
उत्तर : बीसवीं शताब्दी तक के खंडहरों के आधार पर हम्पी शहर और राज्य के इतिहास के पुनर्निर्माण में विद्वानों द्वारा किये गये विभिन्न प्रयास निम्नलिखित हैं :
हम्पी के भग्नावशेष 1800 ईसवीं में 1 अभियन्ता तथा पूरा विद कर्नल कॉलिन मैकेंज़ी द्वारा प्रकाश में लाये गये थे
मैकेंजी इस इण्डिया कम्पनी में कार्यरत थे और उन्होंने इस स्थान का पहला सर्वेक्षण
मानचित्र तैयार किया उनके द्वारा हासिल शुरुआती जानकारी विरूपाक्ष मन्दिर तथा पंपादेवी के पूजा स्थल के पुरोहितों की स्मृतियों पर आधारित थी ।
कालांतर में 1856 ईस्वी में छाया चित्रकारों ने यहां के भवनों के चित्र संकलित करने आरम्भ किये जिससे शोधकर्ता उनका अध्ययन कर पाए
1836 से ही अभिलेख कर्त्ताओं ने यहां और हम्पी के अन्य मन्दिर से कई दर्जन अभिलेखों को इकट्ठा करना आरम्भ कर दिया इस शहर तथा साम्राज्य के इतिहास के पुनर्निर्माण के प्रयास में इतिहासकारों ने इन स्रोतों का विदेशी यात्रियों के वृतांतो तथा तेलुगु कन्नड़ तमिल और संस्कृत में लिखे गये साहित्य से मिलान किया ।
प्रश्न 7 : स्पष्ट कीजिये के आइने अकबरी आज भी अपने समय का असाधारण ग्रन्थ क्यों है ? उत्तर:
आइन ए अकबरी आज भी अपने समय का असाधारण ग्रन्थ होने के निम्नलिखित कारण हैं:
मुगल साम्राज्य के गठन और उसकी संरचना की मंत्रमुग्ध करने वाली झलकियां दिखाकर और उसके बाशिंदों व उत्पादों के बारे में सांख्यिकी आंकड़े देकर अब्दुल फाजिल मध्यकालीन इतिहासकारों की अब तक प्रचलित परम्पराओं से कहीं आगे निकल गए और यह निश्चित तौर पर 1 बड़ी उपलब्धि थी जबकि मध्यकालीन भारत में अबुल फजल से पहले के इतिहासकार ज़्यादातर राजनीतिक वारदातों के बारे में ही लिखते थे जंग फतह सियासी साजिशें या वंशीय उथल पुथल देश उसके लोग या उत्पादों का जिक्र यदा कदा ही आता था भारत के लोगों और मुगल साम्राज्य के बारे में विस्तृत सूचनाएं दर्ज करके आई ने स्थापित परम्पराओं को पीछे छोड़ दिया ।
कृषि संबंधों के सवाल पर आइन के सांख्यिकीय सबूतों की अहमियत चुनौतियों से परे है लोगों उनके पेशों और व्यावसायिक साम्राज्य की व्यवस्था और उसके उच्चाधिकारियों के बारे में जो सूचनायें आइन देता है उनकी मदद से इतिहासकार समकालीन भारती के समाज ताने बाने का इतिहास पुनः रचते हैं ।
प्रश्न 8 ढक्कन राइट्स कमीशन की रिपोर्ट की आलोचनात्मक समीक्षा कीजिये
उत्तर : दक्कन दंगा आयोग बंबई की सरकार द्वारा दक्कन में दंगों की छानबीन करने के लिए बैठायी गई आयोग ने 1 रिपोर्ट दी जो 1878 में ब्रिटिश पार्लियामेंट में पेश की गई ।
आयोग ने दंगा पीड़ित जिलों में जांच पड़ताल कराई रेत वर्गों साहूकारों और चश्मदीद गवाहों के बयान लिए भिन्न भिन्न क्षेत्रों में राजस्व की दरों कीमतों और ब्याज के बारे में आंकड़े इकट्ठे किए और जिला कलेक्टरों द्वारा भेजी रिपोर्टों का संकलन किया ।
ये याद रखने योग्य बात है कि ये सरकारी स्रोत है और वे घटनाओं के बारे में सरकारी सरोकार और अर्थ प्रतिबिंबित करते हैं उदाहरणार्थ दक्कन दंगा आयोग से विशिष्ट रूप से यह जाँच करने के लिए कहा गया कि क्या सरकारी राजस्व की माँग का स्तर विद्रोह के कारण था और संपूर्ण साक्ष्य प्रस्तुत करने के बाद आयोग ने सूचित किया था कि सरकारी मांग किसानों के गुस्से की वजह से नहीं थी तथा इसमें सारा दोष ऋणदाताओं या साहूकारों का ही था अर्थात इससे यह स्पष्ट होता है कि औपनिवेशिक सरकार यह मानने को कदापि तैयार नहीं थी कि जनता में असंतोष या रूस कभी सरकारी कार्यवाही के कारण उत्पन्न हुआ था इस प्रकार दक्कन दंगा आयोग दक्कन दंगा के सन्दर्भ में 1 विश्वसनीय रिपोर्ट नहीं है ।
प्रश्न 9 अंग्रेजों ने उन लोगों को कैसे सम्मानित किया जिनके बारे में उन्हें विश्वास था कि उन्होंने 1857 के विद्रोह के दौर में विद्रोहियों को कुचला और अंग्रेजों की रक्षा की वर्णन कीजिये ?
अंग्रेजों द्वारा बनाई तस्वीरों को देखने पर तरह तरह की भावनाएं और प्रतिक्रियाएं पैदा होती हैं जिनमें से कुछ में अंग्रेज़ों को बचाने और विद्रोह कुचलने वाले अंग्रेज नायकों का गुणगान किया गया 1859 में टॉमस जेम्स वार्कर द्वारा बनाये गये चित्र रिलीफ ऑफ लखनऊ इसका 1 उदाहरण है जब विद्रोही टुकड़ियों ने लखनऊ पर घेरा डाला तो लखनऊ के कमिश्नर हेनरी लॉरेंस ने ईसाइयों को इकट्ठा किया और बेहद सुरक्षित रेजीडेंसी में पनाह ले ली ।बाद में लॉरेंस तुम्हारा गया किन्तु कर्नल इंग्लिश के नेतृत्व में रेज़ीडेंसी सुरक्षित रहा 25 सितम्बर को जेम्स आउट्रम और हेनरी हैवलॉक वहाँ पहुँचे उन्होंने विद्रोह को तितर बितर कर दिया और ब्रिटिश टुकडियो को नई मजबूती दी 20 दिन बाद भारत में ब्रिटिश टुकडियों का नया कमांडर कॉलिन कैम्पवेल भारी तादाद में सैनिक लेकर वहां पहुंचा और उसने ब्रिटिश रक्षक सेना को घेरे से छुड़ाया ।
मूल्य आधारित प्रश्न
10.1 भारत में ब्रिटिशों द्वारा प्रारम्भ में की गई जनगणना के महत्व का उल्लेख कीजिये ।
उत्तर :
i. जनगणना सम्बन्धी आँकड़ो से औपनिवेशिक भारत के विभिन्न शहरों में रहने वाली श्वेत और अश्वेत लोगों की कुल संख्या का सफलतापूर्वक पता लगाया जा सकता था ।
ii. जनसंख्या सम्बन्धी आँकड़ो से श्वेत एवं अश्वेत शहरों शहरों का निर्माण विस्तार उनमें रहने वाले लोगों के जीवन स्तर भयंकर बीमारियों के जनता पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव आदि के विषय में भी महत्वपूर्ण जानकारी उपलब्ध होती है ।
10.2 आज के भारत में जनगणना का महत्व बताइए ।
उत्तर:
1) जनगणना संबंधी आंकड़ों के आधार पर सरकार द्वारा नियोजन की रूपरेखा तैयार की जाती है ।
2) जनगणना सम्बन्धी आँकड़े देश के वर्तमान तथा भविष्य की तस्वीर तैयार करते हैं ।
निम्नलिखित में से किन्ही तीन प्रश्नों के उत्तर दीजिए :
महाजनपद से आप क्या समझते हों सबसे महत्त्वपूर्ण महाजनपदों के नाम बताइए और उनके विशिष्ट गुण बताइए ।
उत्तर:
आरंभिक भारतीय इतिहास में छठी शताब्दी ईसा पूर्व को एक महत्वपूर्ण परिवर्तनकारी काल माना जाता है इस काल को प्रायः आरंभिक राज्यों नगरों लोहे के बढ़ते प्रयोग और सिक्को के विकास के साथ जोड़ा जाता है इसी काल में बौद्ध तथा जैन सहित विभिन्न दार्शनिक विचारधाराओं का विकास हुआ ।बौद्ध और जैन धर्म के आरंभिक ग्रंथों में महाजनपद नाम से 16 राज्यों का उल्लेख मिलता है सबसे महत्त्वपूर्ण महाजनपद थे वज्जि, मगध, कोशल ,कुरु, पांचाल, गांधार और अवंति ।
विशिष्ट गुण
1) अधिकांश महाजनपदों पर राजा का शासन होता था लेकिन गण और संघ के नाम से प्रसिद्ध राज्यों में कई लोगों का समूह शासन करता था ।
2) इस समूह का प्रत्येक व्यक्ति राजा कहलाता था कुछ राज्यों से भूमि सहित अनेक आर्थिक स्रोतों पर राजा गण सामूहिक नियन्त्रण रखते थे ।
3) प्रत्येक महाजनपद की एक राजधानी होती थी जिसे प्रायः किले से घेरा जाता था ।
4) किलेबंद राजधानियों के रख रखाव और सेनाओं तथा नौकरशाही के लिए आर्थिक स्रोत की आवश्यकता थी ।
5) शासकों का काम किसानों व्यापारियों और शिल्पकारों से कर तथा भेंड वसूलना था ।
6) धीरे धीरे कुछ राज्यों ने अपनी स्थायी सेनाएँ और नौकरशाही तंत्र तैयार कर लिया ।
मुगलकालीन भारत में कृषि आधारित समाज में महिलाओं की भूमिका की व्याख्या कीजिये ।
उत्तर:
मुगलकालीन भारत में कृषि आधारित समाज में महिलाओं की भूमिका :
1) महिलाएं मर्दों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खेतों में काम करती थीं मर्द खेत जोते थे वह हल चलाते थे और महिलायें बुआई निराई और कटाई के साथ साथ पकी हुई फसल का दाना निकालने का काम करती थी ।
2) सूत कातने बर्तन बनाने के लिए मिट्टी को साफ करने और गूंथने और कपड़ों पर कढ़ाई जैसे दस्तकारी के काम उत्पादन के ऐसे पहलू थे जो महिलाओं के श्रम पर निर्भर थे ।
3) किसान और दस्तकार महिलाएं न केवल खेतों में काम करती थीं बल्कि नियोक्ताओं के घरों में भी जाती थीं और बाजार में भी ।
4) चूंकि समाज श्रम पर निर्भर था इसीलिए बच्चे पैदा करने की अपनी काबलियत की वजह से महिलाओं को महत्वपूर्ण संसाधन के रूप में देखा जाता था फिर भी शादीशुदा महिलाओं की कमी थी क्योंकि कुपोषण बार बार मां बनने और प्रसव के वक्त मौत की वजह से महिलाओं में मृत्यु दर बहुत ज्यादा थी ।
5) इसमें किसान और दस्तकार समाज में ऐसे सामाजिक रिवाज पैदा हुए जो संभ्रांत समूहों से बहुत अलग थे कई ग्रामीण संप्रदाय में शादी के लिए दुल्हन की कीमत अदा करने की ज़रुरत होती है । न कि दहेज की तलाकशुदा महिलाएं और विधवाएं दोनों ही कानूनन शादी कर सकती थी ।
6) स्थापित रिवाजों के मुताबिक घर का मुख्य मर्द होता था तथा महिला पर परिवार और समुदाय के मर्दों द्वारा पूरा काबू रखा जाता था बेवफाई के शक पर ही महिलाओं को भयानक दंड दिए जा सकते थे ।
7) भूमिहर भद्रजनों में महिलाओं को पुश्तैनी सम्पत्ति का हक मिला था पंजाब से ऐसे उदाहरण मिलते हैं जहां महिलाएं पुश्तैनी सम्पत्ति के विक्रेता के रूप में समय ग्रामीण जमीन के बाजार में सक्रिय हिस्सेदारी रखती थी ।
8) हिन्दू और मुसलमान महिलाओं को जमींदारी उत्तराधिकार में मिलती थी जिसे बेचने अथवा गिरवी रखने के लिए वे स्वतंत्र थे अठारहवीं शताब्दी की सबसे बड़ी और मशहूर ज़िम्मेदारियों में से एक थीं राजशाही की जिम्मेदारी जिसकी कर्ताधर्ता एक स्त्री थी ।
गोपुरम और मंडपों पर विशेष बल देते हुए विजयनगर के पवित्र केन्द्र के महत्व की व्याख्या कीजिये ।
उत्तर:
पवित्र केन्द्र में गोपुरम और मण्डपों का महत्त्व :
स्थापत्य के सन्दर्भ में विशाल स्तर पर बनाई गई संरचनाओं जो राजकीय सत्ता की गलियों तक भी शामिल थीं इनका सबसे अच्छा उदाहरण राय गोपुरम अथवा राजकीय प्रवेश द्वार थे जो अक्सर केन्द्रीय देवालयों की मीनारों को बौना प्रतीत कराते थे और जो लम्बी दूरी से ही मन्दिर होने का संकेत देते थे । यह शासकों की ताक़त की याद दिलाते थे जो इतनी ऊँची मीनारों के निर्माण के लिए आवश्यक साधन तकनीकी तथा कौशल जुटाने में सक्षम थे अन्य विशिष्ठ अभिलक्षण थे मंडप तथा लम्बे स्तम्भों वाले गलियारे जो अक्सर मंदिर परिसर में स्थित देवस्थलों के चारों ओर बने थे
मंडप
विरूपाक्ष मन्दिर के सामने बना मंडप कृष्ण राय के अपने राज्यारोहण के उपलक्ष्य में बनवाया था । इसे सूक्ष्मता से उत्कीर्णत स्तंभों से सजाया गया था पूर्वी गोपुरम के निर्माण का श्रेय भी उसे ही दिया जाता है इन परिधान परिवर्तनों का अर्थ था कि केन्द्रीय दिवाली पूरे परिसर के एक छोटे भाग तक सीमित रह गया था ।
मन्दिर के सभागारों का प्रयोग विविध प्रकार के कार्यों के लिए होता था इनमें से कुछ ऐसे थे जिनमें देवताओं की मूर्तियाँ संगीत नृत्य और नाटकों के विशेष कार्यक्रमों को देखने के लिए रखी जाती थीं अन्य सभागारों का प्रयोग देवी देवताओं के विवाह के उत्सव पर आनन्द मनाने और कुछ अन्य का प्रयोग देवी देवताओं को झूला झुलाने के लिए होता था इन अवसरों पर विशिष्ट मूर्तियों का प्रयोग होता था ।
तीन विभिन्न प्रकार के स्रोतों का स्पष्ट कीजिये जिनके माध्यम से हम गाँधी जी के बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं उनकी व्याख्या करने में आने वाले दो समस्याओं का उल्लेख कीजिये ।
उत्तर :