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एथेनॉल ईंधन स्वच्छ ईंधन

Ethanol is one of the future fuels. ethanol is a green fuel.

Ethanol as fuel

ऑटोमोबाइल उद्योग एथेनॉल ईंधन (स्वच्छ ईंधन) का उपयोग फ्लेक्सी फ्यूल के रूप में करने जा रहा है। तीसरा सबसे बड़ा ऑटोमोबाइल उद्योग जीवाश्म ईंधन पर अपनी निर्भरता कम कर रहा है। पारंपरिक ईंधन भारतीय अर्थव्यवस्था पर एक बड़ा भार है। पेट्रोल और डीजल की खरीद देश की अर्थव्यवस्था पर भारी बोझ है। भारत सरकार ने 2025 तक इथेनॉल को 20% तक मिलाने का लक्ष्य रखा है। केंद्र सरकार कच्चे तेल पर हर साल 65 बिलियन डॉलर खर्च करती है। पेट्रोलियम की 80 फीसदी जरूरत आईओसी और दूसरे देशों से आती है

कैसे बनता है एथेनॉल ईंधन एक स्वच्छ ईंधन

इथेनॉल सम्मिश्रण इथेनॉल और पेट्रोल का 10-20% मिश्रण है। भारत सरकार 2025 तक इथेनॉल प्रतिशत को 10.5% से बढ़ाकर 20% कर देगी। भारत प्रति वर्ष 26 मिलियन वाहनों का उत्पादन करता है। भारत प्रति वर्ष 5 मिलियन वाहनों का निर्यात करता है।इथेनॉल एक अच्छा विलायक है। इसका रासायनिक सूत्र C2H5OH है। यह एक कार्बनिक यौगिक है। दैनिक जीवन में इसके व्यापक अनुप्रयोग हैं। यह पेट्रोल और डीजल से काफी सस्ता है l

इथेनॉल सम्मिश्रण इथेनॉल और पेट्रोल का 10-20% मिश्रण है। भारत सरकार 2025 तक इथेनॉल प्रतिशत को 10.5% से बढ़ाकर 20% कर देगी। भारत प्रति वर्ष 26 मिलियन वाहनों का उत्पादन करता है। भारत प्रति वर्ष 5 मिलियन वाहनों का निर्यात करता है।

एथेनॉल के अन्य उपयोग

इथेनॉल एक अच्छा विलायक है। इसका रासायनिक सूत्र C2H5OH है। यह एक कार्बनिक यौगिक है। दैनिक जीवन में इसके व्यापक अनुप्रयोग हैं।

एथेनॉल का फ्लेक्सी फ्यूल के रूप में उपयोग

फ्लेक्सी फ्यूल पेट्रोल और डीजल के लिए वैकल्पिक ईंधन विकल्प है। पेट्रोल के इथेनॉल मिश्रण का 85% फ्लेक्सी ईंधन है। इंजन के काम करने का सिद्धांत सीएनजी वाहनों के समान है। पारंपरिक इंजन में लचीले ईंधन का उपयोग नहीं होता है। इंजन में सामान्य इंजन में सीएनजी और पेट्रोल के रूप में अलग डिब्बे होते हैं।
इथेनॉल का प्रतिशत आवश्यक सीमा के अनुसार भिन्न हो सकता है।

एथेनॉल ईंधन स्वच्छ ईंधन के रूप में क्यों उपयोग किया जाना चाहिए

एथेनॉल ईंधन स्वच्छ ईंधन को अपनाने की चुनौतियाँ

भारत का ऑटोमोबाइल उद्योग मूल रूप से पेट्रोलियम ईंधन पर आधारित है। पेट्रोलियम ईंधन महंगा ईंधन ऊर्जा विकल्प है। भारत 80% पेट्रोलियम आयात पर निर्भर है। व्यापार और वाणिज्य में वैश्विक अशांति से पेट्रोल की कीमत प्रभावित होती है। इसलिए आयातित पेट्रोलियम उत्पादों के बजाय जैव ईंधन पर निर्भर रहना सबसे अच्छी पहल है।

प्रमुख चुनौतियाँ

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